जहाँ सभी राजनीतिक संगठन ‘किसान आंदोलन’ के बहाने अपना उल्लू सीधा करना चाह रहे हैं, वहीं जातिवाद, मजहबी कट्टरता और खालिस्तानी एजेंडे को बढ़ावा देने वाले लोग भी इससे जुड़ते देखे जा रहे हैं। ऐसा ही एक दल है ‘भीम आर्मी’, जो उत्तर प्रदेश में दलितों की राजनीति करने का दावा करता है। बताया जा रहा है कि चंद्रशेखर आजाद उर्फ़ ‘रावण’ की अगुआई वाले इस संगठन के लोगों को गाजियाबाद में किसानों ने मार-मार कर भगा दिया।
‘आज तक’ की खबर के अनुसार, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मंगलवार (दिसंबर 8, 2020) को आयोजित भारत बंद के दौरान भीम आर्मी के नेता-कार्यकर्ता किसानों के आंदोलन में उन्हें समर्थन देने पहुँचे और उनके साथ विरोध प्रदर्शन के इरादे से बाहर निकले। लेकिन, वहाँ उन्हें किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। यूपी गेट पर किसानों के धरने में पहुँचे भीम आर्मी के नेताओं को किसानों ने भगा दिया।
किसानों ने आरोप लगाया कि भीम आर्मी के लोग इस आंदोलन को भड़काने की कोशिश में लगे हुए थे, इसीलिए उन्हें इसमें शामिल नहीं होने दिया गया। खबर के अनुसार, किसानों की शिकायत के बाद पुलिस ने भी लाठियाँ चटकाईं और भीम आर्मी के लोगों को किसानों ने खदेड़ दिया। उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही कह चुकी है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान जोर-जबरदस्ती नहीं चलेगी। दुकानों को जबरन बंद नहीं कराया जा सकता है।
जो शाहीन बाग और दिल्ली दंगों में नहीं हो पाया, वह किसान आंदोलन के नाम पर करने की तैयारी है।
— Prashant Patel Umrao (@ippatel) December 7, 2020
पर्दे के पीछे खिलाड़ी वही हैं।
भीम आर्मी नें 23 फरवरी को भारत बंद बुलाया था और 24 फरवरी को दिल्ली में दंगे हुए।
वहीं भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने आरोप लगाया है कि विरोध प्रदर्शन में शामिल होने जाते समय उन्हें हिरासत में लेकर नजरबंद कर लिया गया है। उधर दिल्ली में भी सब्जी मंडी के व्यापारियों ने अपनी-अपनी दुकानें खोल रखी थीं, लेकिन यहाँ सुबह तक मंडियों को बंद रखने के लिए AAP नेता द्वारा दबाव बनाया जा रहा था। दिल्ली में APMC के अध्यक्ष आदिल अहमद खान हैं। ऐसे में AAP पर कई सवाल उठ रहे हैं।