भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में पुलिस ने नई कार्रवाई की है। झारखण्ड की राजधानी राँची स्थित नामकुम बगीचा में कथित सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के ठिकाने पर छापेमारी की। यह कार्रवाई महाराष्ट्र पुलिस और एटीएस ने की। छापेमारी टीम ने फादर के ठिकाने से कंप्यूटर हार्ड डिस्क सहित कई अन्य कागजात भी ज़ब्त किए। इस मामले में उनके यहाँ दूसरी बार छापा पड़ा है। उससे पूछताछ भी की गई है। इससे पहले 28 अगस्त, 2018 को भी फादर स्टेन स्वामी के घर में छापेमारी हुई थी। ताज़ा कार्रवाई के लिए मंगलवार (जून 11, 2019) की शाम ही महाराष्ट्र पुलिस की टीम राँची पहुँच गई थी। बुधवार के दिन सुबह होते ही छापेमारी शुरू कर दी गई।
छापेमारी के दौरान स्थानीय पुलिस भी मौके पर मौजूद थी। मीडिया को फादर के घर के बाहर ही रोक दिया गया था। इससे पहले पिछले वर्ष जब फादर के यहाँ छापेमारी की गई थी, तब उसके घर से एक लैपटॉप, दो टैब और कुछ सीडीज बरामद की गई थीं। इन सबके अलावा कुछ अहम दस्तावेज भी पुलिस के हाथ लगे थे। फादर ने छापेमारी टीम के सामने काफ़ी नखरे दिखाए थे। जब पुलिस ने उन्हें सर्च वारंट थमाया था, तब उन्होंने उस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। फादर का कहना था कि यह सर्च वारंट मराठी में है और उसे मराठी नहीं आती। इसके बाद पुलिस को सर्च वारंट का अनुवाद करना पड़ा था, तब उसने हस्ताक्षर किए थे।
झारखंड : फादर स्टेन स्वामी के आवास पर महाराष्ट्र पुलिस ने मारा छापा https://t.co/PmnH6IMjkj pic.twitter.com/VmctFbF6Bx
— Prabhat Khabar (@prabhatkhabar) June 12, 2019
फादर स्टेन स्वामी ख़ुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता बताता है और आदिवासी क्षेत्रों में वह अक्सर सक्रिय रहता है। पिछले कई दशकों से वह आदिवासियों के बीच सक्रिय रहा है। वह मानवाधिकार की बातें भी करता है और इसे लेकर सरकारों को घेरता रहा है। वह नक्सलियों का प्रखर समर्थक है। वह ख़ुद दावा करता रहा है कि लगभग 3000 निर्दोष लोगों को जेल में नक्सली बता कर बंद रखा गया है और उसके लिए उसनें अदालत में पीआईएल दाखिल कर रखी है। भीमा कोरेगाँव मामले में पुलिस ने कई नक्सलियों व उनके समर्थकों को गिरफ़्तार किया था। इनमें कई ऐसे थे, जो ख़ुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं।
बताते चलें कि वर्ष 2018 में पेशवा बनाम अंग्रेज युद्ध के 200वें साल का जश्न मनाने के लिए भारी संख्या में दलित समुदाय के लोग जमा हुए थे। जश्न के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गयी थी, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। स्टेन स्वामी व अन्य कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उस दौरान भड़काऊ भाषण दिया था, इसी मामले में फादर स्टेन के खिलाफ देशद्रोह का मामला भी दर्ज किया गया था। स्टेन स्वामी पर महाराष्ट्र के नक्सली संगठन अलगार परिषद को समर्थन देने के भी आरोप लगे हैं।