बीएचयू यानी बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने इतिहास के कोर्स से रामायण और महाभारत को बाहर कर दिया है। हाल ही में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में उठे विवाद से बीएचयू अभी निकल भी नहीं पाया है कि एक बार फिर से बीएचयू में हंगामा खड़ा हो गया है। दरअसल बीचयू के इतिहास विभाग ने बीए कोर्स से रामायण, महाभारत और वैदिक काल के अध्याय को हटा दिया है। इस फैसले के बाद से ही छात्रों में विश्वविद्यालय प्रशासन और वाईसचांसलर के खिलाफ काफी रोष है। इस मामले को लेकर उन्होंने विभागाध्यक्ष से भी आपत्ति दर्ज कराई है।
शाम में कुछ मीडिया में ऐसी खबरें आ रही थीं कि यूनिवर्सिटी में रामायण और महाभारत से जुड़े अध्यायों को हटाया जा रहा है। विश्वविद्यालय के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ने कहा है कि यह कोरी अफवाह है। उन्होंने आगे बताया कि कोर्स में किसी भी तरह का बदलाव एकेडमिक काउंसिल करती है, और ऐसा अभी कुछ नहीं हुआ है। उनके अनुसार यह सब विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों द्वारा इस मुद्दे पर आपत्ति जताने के बाद, इस विषय को लेकर बैठक शुरू हो गई है। इस सब के बीच विश्वविद्यालय परिसर पहले से ही एक प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर काफी अशांत है। डॉ फ़िरोज़ खान की नियुक्ति के विरोध में धरना जारी है और विश्वविद्यालय प्रशासन अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सका है।
वहीं इस विवाद पर छात्रों का भी गुस्सा जमकर फूटा है। फ़िरोज़ खान की नियुक्ति पर उपजे इस विवाद के चलते संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय पर पिछले 13 दिन से ताला लटका हुआ है। सम्भावना जताई जा रही है कि अगर बीएचयू में इतिहास के कोर्स से रामायण, महाभारत और वैदिक इतिहास को हटाने के मामले में अगर विवाद बढ़ता है तो आने वाले वक़्त में प्रशासन और छात्र एक बार फिर आमने-सामने होंगे।
कल ही में बीएचयू परिसर इससे पहले भी एक अन्य घटना के चलते सुर्ख़ियों में था। जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सावरकर की तस्वीर को किसी उत्पाती ने उखाड़ कर फेंक दिया था। इस घटना के सर्वप्रथम एमए में पढ़ने वाले छात्रों का ध्यान इसकी ओर गया था। बाद में इस मामले की शिकायत की गई और जाँच के लिए तीन सदस्यीय कमिटी का गठन भी किया गया है।
नोट: इस रिपोर्ट को नई सूचनाओं के आलोक में अपडेट किया गया है।