Monday, December 23, 2024
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ऑर्डर झटका चिकन का, BigBasket ने हलाल सर्टिफाइड पैकेट में भेजा ‘झटका’

हलाल मीट का सेवन खासकर ऐसे लोग नहीं करते हैं, जिनके धर्म में इस पर पाबंदी होती है। मिसाल के तौर पर सिख समुदाय में भी हलाल मीट का सेवन नहीं किया जाता है, क्योंकि उनके धर्म में इसे सही नहीं माना गया है। वे सिर्फ और सिर्फ झटका मीट का सेवन करते हैं।

गुरुग्राम के रहने वाले कुमार नाम के व्यक्ति ने बिगबास्केट (BigBasket) ऑनलाइन स्टोर से चिकन मँगाया। उन्होंने चिकन ऑर्डर करते समय स्पष्ट किया था कि उन्हें झटका चिकन चाहिए। लेकिन उन्हें जो चिकन भेजा गया उस पर झटका और हलाल दोनों लिखा हुआ था। चिकन के पैकेट के अगले हिस्से पर लिखा था कि यह हलाल है और उत्पाद से जुड़ी जानकारी वाले स्टीकर पर लिखा था कि यह झटका है। 

Ruchhan नाम के यूज़र ने इस घटना का वीडियो ट्विटर पर साझा किया है। उन्होंने लिखा है, “मेरे दोस्त ने बिगबास्केट से झटका चिकन मँगाया था, लेकिन उन्होंने दोनों श्रेणी के चिकन भेज दिए। 2 in 1”

आसानी से देखा जा सकता है कि उत्पाद के लेबल पर लिखा है कि यह झटका चिकन है, जबकि बॉक्स के लेबल पर लिखा है कि यह हलाल है। हम सभी इतना जानते हैं कि झटका और हलाल खाए जाने वाले जीवों को काटने के दो अलग तरीके हैं। इसके बाद कुमार ने बिगबास्केट के उपभोक्ता सहायता केंद्र (कस्टमर केयर) से संपर्क करने का प्रयास किया। उन्होंने इस घटना पर सफाई देते हुए कहा कि वह झटका चिकन ही था। गलती बस यहीं हुई होगी कि उसे गलत पैकेट में रख दिया गया होगा, जिसके लेबल पर हलाल चिकन लिखा हुआ था।

इसके बाद कुमार ने ऑपइंडिया से बात करते हुए इस घटना पर अपनी बात कही। उनका कहना था, “मैं इस बात की सराहना करता हूँ कि उन्होंने मेरी समस्या पर इतनी जल्दी गौर किया। लेकिन ऐसी दिक्कत का हल निकाला ही जाना चाहिए। भरोसे के लिए कोई न कोई आधार होना ही चाहिए। मैं बिगबास्केट के दावों पर भरोसा करना चाहता हूँ, हो सकता है उनसे गलती हुई हो और वह किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहते थे। अब बहुत ज़रूरी हो गया है कि झटका चिकन की जाँच करने की एजेंसी बनाई जाए।” 

बिगबास्केट इसके पहले भी केवल हलाल चिकन मीट बेचने को लेकर विवादों में रह चुका है। इस बात पर बिग बास्केट को बड़े पैमाने पर आलोचना का सामना करना पड़ा था। उसके बाद बिगबास्केट ने झटका मीट बेचना भी शुरू किया था। उल्लेखनीय बात है कि हाल फ़िलहाल में ऐसे तमाम उत्पाद सामने आए हैं, जिन पर हलाल का लेबल लगा होता है। इसका मतलब यह है कि खाने की चीज़ें सिर्फ इस्लामी तौर-तरीकों से तैयार ही नहीं की जाती हैं, बल्कि वहाँ ज़्यादातर मुस्लिम कर्मचारी ही काम करते हैं। 

मिसाल के तौर पर हलाल मीट तैयार करने के दौरान स्पष्ट कर दिया जाता है कि इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ मुस्लिम व्यक्ति ही शामिल हो सकता है, अब वह चाहे पैकेजिंग हो या जानवरों को काटना। अगर इसमें कोई गैर मुस्लिम व्यक्ति शामिल होता है तो इस्लाम के मुताबिक़ वह हराम साबित हो जाता है। 

हलाल मीट का सेवन खासकर ऐसे लोग नहीं करते हैं, जिनके धर्म में इस पर पाबंदी होती है। मिसाल के तौर पर सिख समुदाय में भी हलाल मीट का सेवन नहीं किया जाता है, क्योंकि उनके धर्म में इसे सही नहीं माना गया है। वे सिर्फ और सिर्फ झटका मीट का सेवन करते हैं। आधिकारिक खालसा कोड ऑफ़ कंडक्ट ने हलाल मीट को पूरी तरह प्रतिबंधित कर रखा है।        

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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