बिहार में पुलिस की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। 2 दिसंबर 2021 को खगड़िया जिले की गोगरी थाने की पुलिस ने कथित तौर पर कक्षा 1 के छात्र के खिलाफ छेड़छाड़ के आरोप में एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। हिंदी दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में उचित कार्रवाई किए बिना ही मनमाने ढंग से बच्चे की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया। हालाँकि, जैसे ही यह मामला जिले के एसपी अमितेश कुमार के पास पहुँचा तो उन्होंने जाँच के आदेश दे दिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, घटना गोगरी थाना क्षेत्र के शिशवा गाँव की है। इस गाँव की रहने वाली अनोखा देवी ने पुलिस अधीक्षक को लिखित आवेदन देकर बताया कि फतेहपुर की एक महिला ने गोगरी थाने में केवल इसलिए केस दर्ज कराया था, ताकि उसे उधार न चुकाना पड़े। उसकी शिकायत के बाद गोगरी पुलिस ने छेड़छाड़, चोरी सहित एससी/एसटी एक्ट में कार्रवाई करते हुए एक महिला समेत चार लोगों को आरोपी बनाया था। आरोपितों में कक्षा एक में पढ़ने वाला बच्चा शामिल है।
वहीं पुलिस के एफआईआर में दूसरा आरोपित अरविंद है, जो कि कहीं बाहर रहता है और कोरोना के बाद से वह वापस ही नहीं आया है। इतना ही नहीं मामले में फतेहपुर की दो महिलाओं शोभा देवी और मीरा देवी को प्रत्यक्षदर्शी बनाया गया, जबकि दोनों ने इस केस में किसी भी तरह की जानकारी से इनकार किया है।
जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले की जाँच का जिम्मा पुलिस हेडक्वार्टर के डीएसपी मुख्यालय रंजीत सिंह को दी गई है। आरोप है कि सिंह ने मामले की पूरी जाँच किए बिना ही अपने कार्यालय में बैठकर बच्चे को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। बहरहाल अब बिहार पुलिस की जमकर फजीहत हो रही है।
खगड़िया के एसपी से अमितेश कुमार से ऑपइंडिया की बातचीत
इस घटना को लेकर ऑपइंडिया ने खगड़िया के एसपी अमितेश कुमार से बात की। आईपीएस अधिकारी ने बताया कि मामले की हर संभव एंगल की छानबीन की जा रही है। इस मामले में डीएसपी से भी स्पष्टीकरण माँगा गया है कि क्या उन्होंने मौके का दौरा किया था? अगर उन्होंने ऐसा किया था तो क्या उन्होंने बच्चे की उम्र को वेरिफाई किया था?
पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस बच्चे का आयु प्रमाण पत्र हासिल करने की कोशिश कर रही है। पुलिस मामले में आईओ और डीएसपी की भूमिका की जाँच कर रही है और इसमें उनकी लापरवाही पाई जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एसपी अमितेश कुमार ने कहा कि अगर जाँच में पता चलता है कि बच्चे की उम्र बारह वर्ष से अधिक है तो उसके खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं, एससी/एसटी एक्ट के मामले पर उन्होंने अभद्र भाषा का इस्तेमाल की आशंका व्यक्त की। हालाँकि, किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले मामले की सही तरीके से जाँच की जानी चाहिए।