बिहार (Bihar) का गया जिला हिंदू धर्म का पवित्र तीर्थ है। यहाँ मृत्यु के पश्चात लोगों का पिंडदान किया जाता है। लेकिन, यहाँ के दो प्रमुख पिंड वेदियों सीता कुंड और अक्षय वट में आगंतुकों के प्रवेश पर टिकट के जरिए वसूली की जा रही है, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। गया नगर निगम के इस कदम पर बौखलाए पंडा समाज ने अंजाम भुगतने की चेतावनी दे डाली है।
रिपोर्ट के मुताबिक, गया नगर निगम द्वारा की जा रही वसूली पर पंडा समाज और विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति ने अपना विरोध जताते हुए कहा है कि पूरे गया में 50 पिंडदान वेदियाँ हैं और अगर नगर निगम इसी तरह से वसूली करेगा तो तीर्थ यात्रियों की नजर में पवित्र स्थल गयाजी वसूली का अड्डा बन जाएगा। पंडा समाज ने नगर निगम को वो पिंड वेदियों को पैसा कमाने का स्त्रोत नहीं बनाने की चेतावनी देते हुए तत्काल प्रभाव से अपने फैसले को वापस लेने की माँग की है।
शुल्क वसूली का विरोध करते हुए विष्णुपद प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विठ्ठल के ने कहा कि निगम की अनुचित वसूली से पिंडदान करने आने वाले लोगों में निराशा का माहौल है। उन्होंने इस मामले में जिला प्रशासन और निगम से फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। साथ ही कहा कि इस फैसले से गया धाम की छवि को धक्का लगा है। विठ्ठल ने ये भी कहा कि पूरा पाल समाज इसका कड़ा विरोध कर रहा है।
गया नगर निगम का बयान
पिंड वेदियों में प्रवेश के लिए शुल्क की वसूली के अपने फैसले का बचाव करते हुए निगम का कहना है कि सीताकुंड और अक्षयवट मंदिर के परिसर की देखरेख और साफ-सफाई के लिए निगम ने ठेकेदार रखा है। इसके लिए 5,50,000 रुपए साल के हिसाब से टेंडर की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है। टेंडर के बाद अब पिंडदान के लिए आने वाले लोगों से 10 रुपए का वसूल करने के आदेश हैं।
वहीं गया के मेयर वीरेंद्र कुमार का कहना है कि मेंटेनेंस के लिए पिंडदानियों से 5 रुपए का शुल्क लिए जाने का फैसला सरकार का है। उन्होंने 10 रुपए लिए जाने की बात खंडन भी किया। साथ ही दावा किया कि इस मामले में विष्णुपद मंदिर प्रबंध कार्यकारिणी समिति के साथ भी उनकी बैठक हुई थी।