उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 23 साल पहले प्रभात गुप्ता नाम की व्यक्ति की हत्या के मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ सहित चारों आरोपित बरी हो गए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2004 में ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी करने के दिए गए आदेश को बरकरार रखा। इस फैसले के खिलाफ यूपी सराकर ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अताउ रहमान मसूदी और न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ला की पीठ ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार की अपील को खारिज कर दिया। साल 2004 में यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में पहुँचा था। तब से अब तक, यानी 14 सालों में इस मामले में हाईकोर्ट ने 3 बार अपना फैसला सुरक्षित रखा।
बता दें कि 8 जुलाई 2000 को लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की लखीमपुर खीरी के तिकोनिया गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पंचायत चुनाव को लेकर एक विवाद में प्रभात गुप्ता को गोली उनके घर के पास ही मारी गई थी। इस मामले में अजय मिश्रा टेनी के अलावा सुभाष मामा, शशि भूषण उर्फ पिंकी, राकेश उर्फ डालू को आरोपित बनाया गया था।
जब निचली अदालत ने टेनी को बरी कर दिया, उसके बाद मृतक के पिता संतोष गुप्ता ने सीआरपीसी की धारा 397/401 के तहत हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर दायर की थी। इस याचिका को फरवरी 2005 में हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया था और आरोपित को बरी करने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर आपराधिक अपील से जोड़ दिया गया था।
राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा था कि निचली अदालत ने चश्मदीद गवाह के बयानों को नजरअंदाज किया। दूसरी तरफ कोर्ट ने चश्मीदीद गवाह के बयान को निचली अदालत ने विश्वसनीय नहीं मानकर खारिज कर दिया था।
प्रभात गुप्ता के दिवंगत पिता संतोष गुप्ता ने इस संबंध में दर्ज कराई गई अपनी FIR में कहा था कि उनके बेटे प्रभात गुप्ता को पहली गोली टेनी ने मारी थी। प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने कहा था, “उन लोगों ने मेरे भाई को रोका। उसके बाद गोली चली। पहली गोली अजय मिश्रा ने चलाई, जो मेरे भाई की कनपटी में लगी। दूसरी गोली सुभाष मामा ने चलाई, जो सीने में लगी। इसके बाद मेरे भाई सड़क पर गिर गए और उनकी मौके पर मौत हो गई।”
केस दर्ज होने के बाद टेनी ने हाईकोर्ट से इस मामले में गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया था। हालाँकि, जब मामले में चार्जशीट दाखिल की गई तो 5 जनवरी 2001 को उनके अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया।
जब पीड़ित परिवार इसको लेकर फिर से हाईकोर्ट पहुँचे तो 10 मई 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का ऑर्डर दिया। इसके डेढ़ महीने बाद टेनी ने कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया। फिर उन्हें बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया और फिर अगले दिन सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई। साल 2004 में उन्हें रिहा कर दिया गया।
राजीव गुप्ता ने कहा था, “मेरे भाई की हत्या के मुख्य अभियुक्त होने के बावजूद टेनी एक भी दिन जेल नहीं गए। पूरा सिस्टम उनके हाथ में था।” दरअसल, टेनी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले के नेपाल सीमा से बिलकुल सटे बनवीरपुर गाँव के रहने वाले हैं। इस गाँव से सीधी सड़क तिकुनिया जाती है, जहाँ प्रभात गुप्ता की हत्या की गई थी। इसी तिकुनिया में साल 2021 में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर भी ट्रैक्टर चढ़ाकर उनकी हत्या के मामले में भी नाम सामने आया था।
उनके इलाके में अजय मिश्रा टेनी का इतना खौफ है कि कोई भी उनके खिलाफ खुलकर बोलने को तैयार नहीं होता। राजनीति में आने से पहले अजय मिश्रा टेनी की पहचान एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी की थी। उनके खिलाफ तस्करी से लेकर हत्या तक के तमाम मामले दर्ज हुए थे। हालाँकि, हाईकोर्ट के आदेश पर साल 1996 में टेनी की हिस्ट्रीशीट बंद कर दी गई थी।
भास्कर के अनुसार, प्रभात गुप्ता हत्याकांड के जाँच अधिकारी रहे आरपी तिवारी ने अभियोजन रोजनामचे के आखिरी पन्ने पर अजय मिश्र को लिखा था, “अजय मिश्र उर्फ टेनी भाजपा का महामंत्री है तथा क्षेत्रीय विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री श्री राम कुमार वर्मा का खास होने के कारण इसके आतंक एवं भय से क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति सही एवं सत्य बात कहने की हिम्मत नहीं कर रहा है। यह नेपाल क्षेत्र पास होने के कारण तस्करी के कार्यों में भी लिप्त है, जिससे इसकी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी है।”