बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और तथाकथित किसान नेता राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत, ज़ी न्यूज़ द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में अपनी दोहरी नीतियों के कारण पकड़े गए हैं, जिसमें उन्हें यह कहते हुए पाया गया कि विदेशी कंपनी को न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) से कम कीमत पर गन्ना और फ़ैक्ट्री के लिए सस्ती जमीन भी दिला सकते हैं यदि नकद में भुगतान किया जाए।
नरेश टिकैत को लगभग 7 मिनट 24 सेकंड के वीडियो में गुड़ फ़ैक्ट्री और उसी के लिए गन्ना खरीद के प्रस्ताव पर चर्चा करते देखा जा सकता है। एक रिपोर्टर, जो एक उद्योगपति व्यापारी के रूप में नरेश टिकैत के सामने एक व्यापारिक सौदे का प्रस्ताव रख रहा है, को नरेश टिकैत से गुड़ की फैक्ट्री खोलने के बारे में बात करते हुए देखा जा सकता है और जब बातचीत आगे बढ़ते हुए गन्ने की कीमतें बढ़ीं तो… यहाँ पहुँची तो नरेश टिकैत को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “बहुत अच्छा, हमारे यहाँ बड़ी मात्रा में गन्ना है, और ये गन्ने आपको सही दाम पर मिलेंगे, मिल भी इतना गन्ना नहीं ले सकती, बस भुगतान नकद में होना चाहिए, मिल में माँगे गए दर से भी कम कीमत पर आपको गन्ना मिलेगा, जैसा कि मिल की कीमत है, 325 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि क्रशर (कोल्हू) की कीमत 225 रुपए, 250 रुपए या 275 रुपए में मिल जाएगा आपको..”
यह ऐसे समय में आया है जब नरेश टिकैत जैसे तथाकथित किसान नेता और उनके भाई राकेश टिकैत किसान विरोधी होने का दावा करते हुए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। जबकि ‘किसान प्रदर्शनकारी’ एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को वैध बनाने की माँग कर रहे हैं। वहीं टिकैत अन्य मिलों द्वारा दी जाने वाली कीमत से कम पर वही गन्ना दिलाने की बात कह रहे हैं, अगर पैसे का भुगतान नकद में किया जाता है। सीधे बैंक हस्तांतरण नहीं। इस प्रकार बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी लेनदेन काले धन की समस्या का कारण भी बन सकता है।
Zee News के अनुसार, उनकी टीम उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में टिकैत से मिली, जहाँ हाल ही में एक ‘महापंचायत’ आयोजित की गई थी। टिकैत इसी जिले के रहने वाले हैं। अंडरकवर ज़ी न्यूज़ की टीम ने नरेश टिकैत को सिंगापुर की एक कंपनी के साथ यूपी में गुड़ की फ़ैक्टरी लगाने के समझौते के बारे में बताया। पहले तो टिकैत ने दिलचस्पी नहीं दिखाई लेकिन जब उन्हें विदेशी कंपनी के निवेश के बारे में पता चला, तो उनकी दिलचस्पी बढ़ गई।
मजे की बात यह है कि टिकैत ने उन मुद्दों को नहीं उठाया जो वह और उनके भाई अक्सर ‘किसान’ नेताओं द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शनों के दौरान उठाते थे। उदाहरण के लिए, उन्होंने यह उल्लेख नहीं किया कि किसान उद्योगों को जमीन नहीं देते हैं, जिस तरह से वे विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में दावा करते रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने कंपनी को सालाना 10,000 रुपए प्रति बीघा की दर से 12 बीघा जमीन भी देने की पेशकश की। मुजफ्फरनगर में हाल ही में हुई महापंचायत के दौरान टिकैत ने किसानों को अपनी जमीन उद्योगों को देने के खिलाफ ‘चेतावनी’ दी थी क्योंकि वे उनकी जमीन ‘हड़प’ सकते हैं। लेकिन जब बात उनकी अपनी जमीन या उनके साथ सौदे की आई तो नरेश टिकैत कंपनियों के साथ समझौता करने को तैयार नजर आए।