जगन्नाथपुरी मंदिर की रथयात्रा से लोगों की नजरों में आए ओडिशा के लोकप्रिय बॉडी बिल्डर अनिल गोछीकर जनवरी के पहले सप्ताह से ओडिशा सरकार के खिलाफ ‘धरने’ में बैठे हैं। गोचिकर का दावा है कि उनके परिवार के पास पुरी जगन्नाथ मंदिर के पास घर और जमीन थी जिसे ओडिशा सरकार ने ‘अवैध रूप से’ ध्वस्त कर दिया था। सोशल मीडिया पर धरने पर बैठे गोचिकर की तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
क्या है गोछीकर की शिकायत?
श्री जगन्नाथ मंदिर के सेवादारों के परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोछीकर का कहना है कि उनके परिवार के पास श्री जगन्नाथ मंदिर के बहुत करीब की इमारतें थीं, जिन्हें सरकार ने कानूनी प्रक्रिया के बावजूद ध्वस्त कर दिया है। उनका कहना है कि परिवार को भूखंड के बदले मुआवजे की राशि और वैकल्पिक स्थल की पेशकश की गई है, लेकिन मुआवजे की राशि पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि उनको दिया जाने वाला वैकल्पिक भूखंड भी मंदिर से बहुत दूर है।
एक फेसबुक पोस्ट में गोछीकर ने दावा किया कि पुरी प्रशासन द्वारा उच्च न्यायालय के पूर्व आदेश के बिना उनकी 4 इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने विरोध में अपने बाल और दाढ़ी काट ली है और न्याय मिलने तक सड़क किनारे अपना धरना जारी रखेंगे। गोछीकर का कहना है कि उनके परिवार ने पर्याप्त मुआवजे और मंदिर के नजदीक भूखंड की माँग करते हुए सरकार के खिलाफ अदालत में मामला दायर किया था, इसलिए अदालत के आदेश तक ओडिशा सरकार को मंदिर के पास स्थित उनकी इमारतों को ध्वस्त नहीं करना चाहिए था।
5 जनवरी 2022 को ओडिया मीडिया पोर्टल ओडिशा भास्कर से बात करते हुए उन्होंने स्वीकार किया था कि कई परिवार जो मंदिर के करीब की इमारतों में रह रहे थे, उन्होंने स्वेच्छा से इमारतों को खाली कर मुआवजे को स्वीकार कर लिया था। कुछ परिवार पैसे की राशि और उन्हें मिल रहे वैकल्पिक भूखंड से नाखुश थे, लेकिन सरकार के डर से विरोध नहीं किया। उन्होंने आगे कहा कि उनके परिवार को मुआवजे की पेशकश की गई राशि और उन्हें प्रदान की गई वैकल्पिक साइट पसंद नहीं है। इसलिए वे तब तक विरोध करेंगे, जब तक कि ओडिशा सरकार उनकी माँगों पर ध्यान नहीं देती। गौरतलब है कि अधिकांश भूखंड कानूनी रूप से इन लोगों के स्वामित्व में नहीं थे, लेकिन ये पीढ़ियों से यहाँ रहे थे।
ओडिशा सरकार की जगन्नाथ मंदिर परिक्रमा परियोजना
राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार ने जगन्नाथ मंदिर के आसपास से अवैध अतिक्रमण को हटाने और आसपास के मठों और अन्य धार्मिक संरचनाओं को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि हर साल होने वाले भव्य रथ यात्रा के लिए मंदिर के गलियारे को चौड़ा किया जा सके।
इसी साल 24 नवंबर को पुरी के गजपति महाराज ने जगन्नाथ मंदिर के आसपास हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। ओडिया में ‘परिक्रमा प्रकल्प’ कहे जाने वाले इस कॉरिडोर को बनाने का उद्देश्य 12वीं शताब्दी के इस मंदिर की दीवारों, जिसे ‘मेघनाद पचेरी’ कहा जाता है, उसके सौंदर्यीकरण और हर साल आने वाले तीर्थयात्रियों के आराम और सुविधाओं के लिए विकसित करना है।
Some glimpses of Shila sthapana after the Shila Bije ritual.#JaiJagannatha#Shilanyas#ShreeMandiraParikrama pic.twitter.com/xWx9XQdsVl
— Shree Jagannatha Temple Office, Puri (@SJTA_Puri) November 24, 2021
अगस्त 2019 में ओडिशा सरकार ने घोषणा की थी कि इस मंदिर की सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए जगन्नाथ मंदिर की मेघनाद दीवार के 75 मीटर के दायरे में सभी संरचनाओं को हटा दिया जाएगा। इसके तहत जिन संरचनाओं की पहचान की गई, उनमें वर्षों से चले आ रहे जूता स्टैंड, दुकानें, स्टॉल और बिजली आपूर्ति भवन, सूचना केंद्र, पुलिस चौकी जैसी सरकारी सुविधाएँ थीं। न्यायमूर्ति बीपी दास आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के पहले चरण को लागू करने का निर्णय लिया गया।
ओडिशा सरकार ने कहा था कि मेघनाद दीवार के चारों ओर बने अवैध अतिक्रमण और संरचनाएँ मंदिर और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा करती हैं। पुरी के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कहा था, “हम चाहते हैं कि इस क्षेत्र को इमारतों से मुक्त किया जाए, जिनमें से कई अवैध हैं, ताकि कड़ी निगरानी के जरिए आतंकी हमलों को रोका जा सके। मुख्य मंदिर से सटे कई ढाँचे हैं, इसलिए आतंकवादियों के लिए मंदिर पर हमला करना बहुत आसान है।
Mesmerising! This is the Draft Architectural Plan of Shree Jagannath Temple Heritage Corridor, unveiled by Hon’ble CM @Naveen_Odisha .#Puri #Odisha pic.twitter.com/D7PLFwkwpR
— Sujeet Kumar 🇮🇳 (@SujeetKOfficial) December 30, 2019
नवीन सरकार के इस अभियान के बाद इससे संबंधित लोगों में आक्रोश पैदा हो गया था और उन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में कई जनहित याचिकाएँ दायर की थीं। मठों के कई धर्मगुरुओं ने भी सुप्रीम कोर्ट को लिखा था। सुप्रीम कोर्ट ने तब रंजीत कुमार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था और उन्हें इस कार्य का निरीक्षण करने के लिए भेजा था। रंजीत कुमार एसजी तुषार मेहता के साथ पुरी पहुँचे थे और मठों के प्रमुखों, सरकारी अधिकारियों और मंदिर प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
बैठकों और निरीक्षणों के बाद एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी। इसमें कहा गया था कि यहाँ जबरन हटाने का काम नहीं हो रही है और यह हेरिटेज परियोजना आवश्यक और उचित है। इसलिए उडिशा सरकार को अतिक्रमण हटाने का काम जारी रखना चाहिए। रिपोर्ट मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को अतिक्रमण हटाने का कार्य जारी रखने की अनुमति दे दी थी। ओडिशा सरकार भी एकाम्र क्षेत्र परियोजना के तहत भुवनेश्वर के प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर के आसपास भी इसी तरह के विकास कार्य कर रही है।