बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति पर लगाए गए ₹3 करोड़ के जुर्माने के निर्णय को बरकरार रखा है। कोर्ट ने इस व्यक्ति को आदेश दिया है कि उसे अपनी पूर्व पत्नी को ₹1.5 लाख हर महीने देने होंगे। इस व्यक्ति के विरुद्ध उसकी पत्नी ने उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया था। महिला ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि वह उसे सेकंड हैंड कहता था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय को जारी रखते हुए कहा कि घरेलू उत्पीडन से इतनी पढ़ी लिखी और समाज के ऊँचे तबके से आने वाली महिला के आत्मसम्मान को ठेस पहुँची। कोर्ट ने महिला के पूर्व पति को आदेश दिया कि वह महिला को ₹75,000 प्रति माह फ्लैट के किराए के लिए भी दे।
दरअसल यह मामला एक दम्पति के आपसी विवाद से जुड़ा हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने वाली महिला की शादी वर्ष 1994 में हुई थी। उसके बाद यह दोनों अमेरिका चले गए और यहाँ शादी की रस्में पूरी की। दम्पति इसके कुछ वर्षों बाद 2005 में मुंबई वापस आया गए जहाँ वह माटुंगा में एक फ्लैट लेकर रहने लगे।
दोंनो के बीच शादी के बाद रिश्ते खट्टे हो गए, इस कारण 2008 में महिला अपने पत्नी का घर छोड़ कर अपनी माँ के पास रहने चली गई जबकि 2014 में वापस अमेरिका चला गया। दोनों के रिश्ते बिगड़ने के कारण पति ने अमेरिका में तलाक का मुकदमा दायर किया और 2018 में उसकी पत्नी से उससे तलाक भी दे दिया गया। हालाँकि, इसी दौरान उसकी पत्नी ने उस पर घरेलू हिंसा का एक मामला भारत में दर्ज करवा दिया। इस मामले में महिला ने काफी संगीन आरोप लगाए।
महिला ने हाई कोर्ट से कहा कि शादी के बाद उसका पति उसे ‘सेकंड हैंड’ कहता था क्योंकि उसकी एक सगाई पहले टूट चुकी थी। यह वाकया उसके हनीमून के दौरान नेपाल में हुआ था। उसका पति उस पर बेवफा होने के आरोप भी लगाता था और भद्दी बातें कहता था। उसका पति उसके घर वालों से भी उलटे सीधे रिश्ते रखने की बात कहता था। महिला ने आरोप लगाया कि 2005 में जब वह भारत वापस आ गए तो एक दिन उसके पति ने उसे तकिए से दबा के उसे मारने की कोशिश की। कोर्ट ने महिला की इन दलीलों को अपने फैसले से पहले सुना।
इस मामले में निचली अदालत ने दोनों लोगों के सामाजिक स्टेटस को देखते हुए आदेश दिया था कि महिला का पूर्व पति उसे महीने का ₹1.5 लाख रूपए खर्चे के रूप में दे। इसी के साथ कोर्ट ने महिला को मुआवजे के रूप में ₹3 करोड़ दिए जाने का आदेश भी दिया था। महिला के पति के इसके खिलाफ पहले सेशंस अदालत और फिर हाई कोर्ट में अपील की थी।
महिला के पति का कहना था कि उसकी पत्नी ने सिर्फ इसलिए उस पर यह केस लगाया है क्योंकि उसने तलाक के लिए आवेदन दिया। उसने आरोप लगाया कि भारत में महिला ने तब केस दर्ज करवाया जब उसे अमेरिका में तलाक के मामले का पता चला। उसने आरोप लगाया कि महिला असल में उसका फ्लैट कब्जाना चाहती है। हालाँकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसकी दलीलों को खारिज करते हुए निचली अदालत का आदेश बरकरार रखा।