बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने अपने एक फैसले में कहा है कि टेलीविज़न चैनलों को चमत्कारी या अलौकिक शक्तियों के मंत्र जैसे अंधविश्वास से जुड़ी सामग्रियों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों के लिए मुकदमा झेलना होगा।
मंगलवार (जनवरी 05. 2021) को एक सुनवाई में औरंगाबाद अदालत ने कहा कि अगर भगवान हनुमान, किसी भी बाबा सहित किसी भी भगवान के नाम को जोड़कर यह प्रचार किया जाता है कि लोगों की जिंदगी में खुशियाँ आ जाएँगी, और इन यंत्रों में विशेष, चमत्कारी और अलौकिक शक्तियाँ हैं, जिनसे उनके व्यवसायों, करियर, स्वास्थ्य और शिक्षा में प्रगति होगी, तो यह अवैध होगा।
कोर्ट ने ऐसा करने वाले टीवी चैनलों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का भी आदेश दिया है। यह याचिका औरंगाबाद निवासी राजेंद्र अंबोरे ने 2015 में दायर की थी। अंबोरे ने मार्च, 2015 में चार चैनलों के खिलाफ हनुमान चालीसा यंत्र को बढ़ावा देने की वजह से कार्रवाई करने की माँग की थी। अदालत ने राज्य सरकार और केंद्र को यह फैसला लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में 30 दिनों के भीतर सूचित करने का आदेश दिया है।
‘Live Law’ के मुताबिक, जस्टिस तानाजी नलावडे और जस्टिस मुकुंद सेवलिकर की बेंच ने यह भी कहा है कि इस तरह के विज्ञापन का प्रसारण करने वाला टीवी चैनल महाराष्ट्र प्रतिबंध और मानव बलि और अन्य अमानवीय, बुराई और अघोरी प्रथाओं की रोकथाम और काला जादू कानून, 2013 (Maharashtra Prevention and Eradication of Human Sacrifice and other Inhuman, Evil and Aghori Practices and Black Magic Act, 2013) के प्रावधानों के तहत उत्तरदायी होगा।
हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को यह निर्देश दिया है कि वह उन व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करे, जो इस तरह के विज्ञापन कर रहे हैं और इस तरह के लेख बेच रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह टेलीविजन चैनलों पर विज्ञापनों के माध्यम से आए थे, जो यह प्रचार कर रहे थे कि हनुमान चालीसा यंत्र में विशेष, चमत्कारी और अलौकिक गुण थे, जिसे विज्ञापनदाता बेच रहा था। याचिकाकर्ता ने टीवी चैनलों पर विज्ञापन के प्रसारण को रोकने की माँग की थी, जिसके द्वारा हनुमान चालीसा यंत्र जैसे लेखों की बिक्री को बढ़ावा दिया गया था।
‘Live Law’ के मुताबिक, बॉम्बे हाईकोर्ट ने काले जादू अधिनियम की धारा 3 का उल्लेख करते हुए कहा कि हनुमान चालीसा यंत्र जैसे लेखों को बेचकर लोगों से पैसे कमाना आसान है। पीठ ने उल्लेख किया कि विज्ञापन में दिए गए विवरणों से पता चलता है कि इसके उन ‘विशेषताओं’ के बारे में दावा किया गया था, जो विशेष, चमत्कारी और अलौकिक हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि विक्रेता यह साबित नहीं कर सकता है कि वास्तव में यत्र में वे सभी गुण हैं, जो विज्ञापन में बताए गए हैं।
‘लाइव लॉ’ के अनुसार, कोर्ट ने लोगों से वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जाँच की भावना को विकसित करने बात कही और कहा कि महात्मा फुले, डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर जैसे सुधारवादी इसी मिट्टी में पैदा हुए हैं, जिन्होंने बुरी प्रथाओं को दूर करने और समाज में अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम किया।