उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में बहुचर्चित आरुषि गैंगरेप हत्याकांड में पॉक्सो कोर्ट (POCSO Court) ने अपना निर्णय दे दिया है। चलती कार में आरुषि के साथ गैंगरेप करने के बाद उसकी हत्या करने वाले तीन दरिंदों इजराइल, जुल्फिकार और दिलशाद को कोर्ट ने फाँसी की सजा सुनाई है। इस वीभत्स हत्याकांड के पश्चात पुलिस की लापरवाही भी सामने आई थी।
दरिंदों की हैवानियत
इजराइल, जुल्फिकार और दिलशाद ने 2 जनवरी 2018 को ट्यूशन पढ़ कर घर लौट रही आरुषि (16 वर्ष) का अपरहण कर लिया था। NH-91 में चलती कार में उस मासूम के साथ गैंगरेप किया गया। इसके पश्चात गला दबाकर उसकी हत्या कर दी गई और उसके शव को दादरी क्षेत्र के राजवाहे में एक नहर में फेंक दिया गया।
4 जनवरी 2018 को आरुषि की लाश मिली। परिजनों ने आरुषि की हत्या के जुर्म में इजराइल, जुल्फिकार और दिलशाद को नामजद कराया। इतने दिनों की सुनवाई के बाद अब आरुषि के हत्यारों को सजा मिली। आरुषि की माँ तीनों हैवानों को फाँसी पर लटकता हुआ देखना चाहती हैं।
मौज-मस्ती के लिए अपहरण और गैंगरेप
तब गिरफ्तार किए गए जुल्फिकार और दिलशाद ने बताया था कि वो मौजमस्ती के लिए रास्ते से किसी लड़की को उठाने का प्लान बनाए थे। ऑल्टो कार से वे लोग जब जा रहे थे, तो एक अकेली लड़की को साइकिल से जाते देखा। ट्यूशन से लौट रही इस लड़की को इन लोगों ने डेटसन शोरुम के बगल वाली गली में घुसने के साथ ही कार में खींच लिया।
पुलिस को जुल्फिकार ने बताया था कि लड़की को कार में खींचने के बाद चलती गाड़ी में पिछली सीट पर इजराइल उर्फ मेलानी ने उसका रेप किया था। दिलशाद हाथ पकड़े हुए था। लड़की जब चिल्लाने लगी थी तो जुल्फिकार गाड़ी चलाता रहा और दिलशाद व इजराइल उर्फ मेलानी ने लड़की के दुप्पटे से गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी थी।
पहले तो इस केस की जाँच में पुलिस की लापरवाही भी सामने आई थी। तत्कालीन चौकी इंचार्ज ने घटना के पश्चात बरामद किए गए सामान को कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किया जबकि बरामद किया हुआ सामान केस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कोर्ट की नाराजगी के पश्चात पुलिस जाँच में तेजी आई थी।
पुलिस ने जाँच पूरी करके इजराइल, जुल्फिकार और दिलशाद के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किया। आरोप पत्र और सबूतों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश ने तीनों अपराधियों को एक नाबालिग के अपहरण, बलात्कार और हत्या का दोषी पाया और उन्हें जुर्माने के साथ फाँसी की सजा सुनाई।