दिल्ली के चौहान बांगर इलाके से एक महिला को गिरफ्तार किया गया। नाम है – नुसरत। यह एक बंद दुकान पर पिस्टल से 4 गोली चला कर गंदी-गंदी गालियाँ बक रही थीं। इस अपराध के दौरान नुसरत पूरे ‘पारंपरिक’ लिबास मतलब बुर्के में थी।
A Burqa clad woman fired multiple shots at a grocery shop in northeast Delhi's Chauhan Bangar to scare its owner following a quarrel. Identified as Nusrat, she has been arrested. pic.twitter.com/5DgJuAsRGR
— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) November 24, 2020
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार नुसरत नाम की यह औरत फहीम की बंद दुकान की शटर पर गोली चला रही थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
वायरल वीडियो में नुसरत को गंदी-गंदी गालियों के अलावा यह कहते सुना जा सकता है कि वो गैंगस्टर नसीर की बहन है। इसी वीडियो में देखा जा सकता है कि जब वो गोली चला रही होती है तो उसके इंतजार में एक बाइक वाला किनारे खड़ा रहता है और फिर उसी पर बैठ कर वो चली जाती है।
दिल्ली पुलिस के डीसीपी (नॉर्थ-ईस्ट) वेद प्रकाश सुर्या के अनुसार फहीम के पास किसी शाहरुख नाम के शख्स का मोबाइल फोन बंधक पड़ा हुआ था, जो वो नहीं लौटा रहा था। इसी को लेकर वो फहीम को धमकाने गई थी और गोली चला कर उसे डरा रही थी। इसके लिए उसने लोनी के किसी मकसूद से पिस्टल खरीदी थी।
बुर्का और अपराध
1892 में ओटोमन साम्राज्य में एक व्यक्ति ने बुर्क़े की सहारा लेकर डकैती की कोशिश की। कहते हैं कि उस समय के सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय में बुर्क़े पर प्रतिबंध लगा दिया। अगर आधुनिक दौर की बात करें तो बुर्क़े का सहारा लेकर 1937 में अमीन अल हुसैनी नामक अपराधी फ़िलिस्तीन से बुर्क़ा पहन कर भागने में सफल हुआ और लेबनान जाकर नाज़ी समर्थित गतिविधियों में शामिल रहा। उसके बाद 1948 के एक वाकये में इराक़ी सेना ने बुर्क़ा पहन कर फ़िलिस्तीन में घुसपैठ किया।
इसके बाद लंदन, टोरंटों, पुणे, ग्लासगो, फिलाडेल्फिया से ज़ेवरों की चोरी से लेकर, दुकानों से दारू चुराने, लाहौर में चर्चों पर बम फेंकने, कहीं बच्चे चुराने, कहीं किसी आतंकी को जेल से भगाने, सैनिकों और पुलिसकर्मियों को अफ़ग़ानिस्तान में कई बार बम से उड़ाने, पैंपोर पुलिस चीफ़ मंजूर अहमद को मारने, एवम् दसियों बार बैंकों में डाका डालने से लेकर ब्रिटेन से संदिग्ध आतंकी यासिन ओमर का भाग निकलने, पाकिस्तान में 2007 में बन्नू में 15 को मारने, पेशावर चेकप्वाइंट पर तालिबानी महिला के खुद को उड़ाने, रोटरडम में पॉकेटमारी में अचानक वृद्धि आने, कर्बला जाते हुए इस्कंदरिया में इराकी शिया श्रद्धालुओं की सुसाइड बॉम्बिंग, मुंबई हमले, जॉर्डन में 2008-9 में 50 लोगों द्वारा 170 अपराधी वारदातें, सोमालिया के 2009 वाले होटल बॉम्बिंग में, सिंगापुर के आतंकी क़ैदी के भागने में, 2010 में पाकिस्तान के खार में 41 लोगों की सुसाइड बॉम्बिंग में हत्या, उसी दिसंबर में सउदी पुलिस पर गोली चलाने में, 2011 में सोमालिया के आंतरिक मंत्री की हत्या में, उसी साल पाकिस्तान में बम धमाकों की जाँच करती पुलिस टोली पर महिला बमबाजों के हमले में, काबुल के रिसॉर्ट होटल पर हमले में, इस्ताम्बुल पुलिस स्टेशन पर 2015 के सुसाइड बॉम्बिंग में, बोको हरम के जिहादियों के भागने में, सउदी मस्जिद पर हुए आत्मघाती हमले में, चैड के अंज़ेमीना बाजार के धमाके में, येमेन के सना में शिया मस्जिद पर हुए हमले में, बलूचिस्तान के इमामबर्गा शिया मस्जिद की सुसाइड बॉम्बिंग में, इंडोनेशियाई बलात्कारी और क़ातिल अनवर के जेल से भागने में, इराक़ के पश्चिमी अनबर इलाके में विस्थापित लोगों के कैम्प पर हुए सुसाइड बॉम्बिंग में पेशावर के कृषि कॉलेज पर हुए तालिबानी हमले में, अफ़ग़ानिस्तान के शिया मस्जिद पर हुए टेरर अटैक में, श्री लंका के ईस्टर हमलों में… सबमें एक ही चीज कॉमन है: बुर्क़ा।
इसमें दसियों मामले ऐसे हैं जो बैंकों में डकैती से लेकर घड़ियाँ छीन कर भागने और बुर्क़े में होने का लाभ उठाकर पॉकेटमारी तक के हैं। पूरे यूरोप और अमेरिका में बैंकों में डाका डालने का यह एक पसंदीदा तरीक़ा है क्योंकि इस पर आप सवाल नहीं कर सकते। सवाल इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि आपको संवेदनहीन से लेकर बिगट और रेसिस्ट तक के टैग झेलने पड़ सकते हैं।
जिस तुर्की के चाँद को देख कर भारत के लोग ईद मनाते थे, वहाँ भी हिजाब या किसी भी तरह के वैसे कपड़े पर प्रतिबंध लगा, हटा और फिर लग गया जिससे लोगों की पहचान छुपती हो। साथ ही ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, फ़्रान्स, बेल्जियम, ताजिकिस्तान, लातविया, बुल्गारिया, कैमरून, चैड, कॉन्गो-ब्रैज़ाविल, गेबोन, नीदरलैंड्स, चीन, मोरक्को और श्री लंका में बुर्क़े पर प्रतिबंध है।