कलकत्ता हाईकोर्ट ने जोरासांको ठाकुरबारी (Jorasanko Thakurbari) में अवैध रूप से बनाए गए तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के कार्यालय को लेकर नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने विवादास्पद कार्यालय को गिराने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने सोमवार (21 नवंबर, 2022) को हेरिटेज बिल्डिंग के हिस्सों से पार्टी कार्यालय को हटाने का निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय ने कोलकाता नगर पालिका को निर्देश लागू करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को है।
कोर्ट के आदेश के मुताबिक यूनिवर्सिटी की हेरिटेज कमेटी महर्षि भवन के पुराने स्वरूप को वापस लाएगी। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि हेरिटेज विभाग की जिम्मेदारी है कि वह उस हिस्से के निर्माण को उसकी पूर्व स्थिति में लौटाए। जीर्णोद्धार के बाद कार्यालय की पहचान हेरिटेज बिल्डिंग के रूप में की जाए।
हाई कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी
न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि हेरिटेज बिल्डिंग न भी हो तो क्या कोई कहीं जाकर पार्टी आफिस बना सकता है? यदि आपके पास कोई पजेशन पेपर नहीं है, तो इसे गैर-मौजूद निर्माण माना जाएगा। क्या आप में से किसी ने उस कमरे का इस्तेमाल किया है? याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पार्टी कार्यालय अभी भी है। पुलिस वहां जाकर कार्यालय बंद करे और वह कमरा रवींद्र भारती को लौटा दे।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर के पैतृक घर ‘जोरासांको ठाकुरबारी’ के एक हिस्से को तृणमूल शिक्षाबंधु समिति के कार्यालय के रूप में अवैध रूप से तैयार करने का मामला सामने आया था। जानकारी के मुताबिक, जिस कमरे में रवीन्द्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने पहली बार बातचीत की थी, उसे पूरी तरह से नया रूप दिया गया है।
बंगाली पुनर्जागरण के साक्षी रहे महर्षि भवन की दीवारों को हरे रंग से रंगा गया था। दरवाजे और खिड़की, फर्श से भी सत्ताधारी दल से जुड़े समिति द्वारा छेड़छाड़ की गई है।
ऐसा माना जाता है कि भारतीय राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के गीतकार बंकिम चंद्र चटर्जी और टैगोर पहली बार उसी कमरे में मिले थे। दीवारों पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी की दो विशाल आकार की तस्वीरों को लगाया गया था।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी के जोरासांको परिसर में विरासत संरचनाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है। कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि ठाकुरबारी के महर्षि भवन के कुछ कमरों को पार्टी भवन के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।