Saturday, September 28, 2024
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जहाँ त्योहार में भी शांति नहीं, वहाँ लोग चुनाव के लायक नहीं: पश्चिम बंगाल में रामनवमी हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट सख्त, कहा – ‘टाल दिया जाए लोकसभा चुनाव’

कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि अगर लोग शांति के साथ कोई जश्न नहीं मना सकते हैं, तब चुनाव आयोग से हमारी सिफारिश है कि ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव न हों।

राम नवमी के मौके पर हुई हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने कड़ा रुक अपनाया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि जहाँ दो समुदाय 8 घंटे की भी शांति नहीं बना सकते, वहाँ चुनाव की कोई जरूरत नहीं है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार (23 अप्रैल, 2024) को इस साल रामनवमी के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी घटनाओं का न्यायिक संज्ञान लिया और हिंसा के मामलों की सुनवाई की।

रामनवमी पर पश्चिम बंगाल में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि इस साल जिन निर्वाचन क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा भड़की है, उन जगहों पर वह लोकसभा चुनाव 2024 की मंजूरी नहीं देगी। अगर लोग शांति के साथ कोई जश्न नहीं मना सकते हैं, तब चुनाव आयोग से हमारी सिफारिश है कि ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव न हों।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम ने कहा, “हम चुनाव आयोग से सिफारिश करेंगे कि जब लोग कुछ घंटों के लिए शांति के साथ पर्व नहीं मना सकते हैं तब उन्हें संसदीय प्रतिनिधि चुनने का अधिकार भी नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे में चुनाव (वहाँ पर) टाल दिए जाने चाहिए।”

हाई कोर्ट ने आगे कहा, “कुछ छोटी घटनाओं के चलते बड़ा धमाका हो सकता है। ऐसा नहीं होता कि ये सारी घटनाएँ पहले से सुनियोजित होती हैं। त्योहार के दिन…किसी आदमी के ऊपर कोई चीज सवार हो जाती है और वह (हो सकता है बाकी लोगों को भड़काए)…लेकिन इस तरह की असिहष्णुता दोनों तरफ से है।”

कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि वह चुनाव आयोग के सामने बहरामपुर संसदीय क्षेत्र में होने वाले चुनाव को टालने का प्रस्ताव रखेगा। हिंसा की घटनाओं के बारे में हाई कोर्ट ने राज्य से हलफनामा माँगते हुए मामले को 26 मई तक के लिए स्थगित कर दिया है। इसमें याचिकाकर्ताओं की स्वीकारोक्ति भी दर्ज है कि यह पहली बार है कि बेहरामपुर में रामनवमी पर ऐसी हिंसा हुई।

हाई कोर्ट की बेंच ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियाँ कीं, जिसमें मुर्शिदाबाद के बेलडांगा और शक्तिपुर में हिंसा की एनआईए या सीबीआई जाँच की माँग की गई थी। शक्तिपुर इलाके में यह हिंसा रामनवमी जुलूस के एक स्थानीय मस्जिद से गुजरने के तुरंत बाद हुईं, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि समाचार रिपोर्टों की मानें तो कोलकाता में रामनवमी पर लगभग 33 कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। फिर मुर्शिदाबाद में ये कैसे हुआ?

गौरतलब है कि देश भव में 17 अप्रैल 2024 को रामनवमी का त्योहार मनाया गया। इस दौरान पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर हिंसा भड़की। कोलकाता पूरी तरह से शांत रहा, लेकिन अन्य हिस्सों से हिंसा की खबरें आई। यही नहीं, मुर्शिदाबाद में रामनवमी जुलूस के दौरान हिंसा के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग (ईसी) को ही जिम्मेदार ठहरा दिया था। हालाँकि चुनाव आयोग ने बंगाल में हिंसा होने पर 2 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया, जिसमें मुर्शिदाबाद जिले के शक्तिपुर और बेलडांगा थाने के प्रभारी शामिल थे। ये अधिकारी अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में 17अप्रैल को हुई हिंसा को रोकने में विफल रहे थे। इसी मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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