CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार (16 मार्च, 2022) को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोफेसर मोहम्मद खालिद मोईन को गिरफ्तार कर लिया है। वो जामिया के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में बतौर प्रोफेसर तैनात थे। उन्हें 1 लाख रुपए की घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया। उनके साथ-साथ उनके दो सहयोगियों आबिद खान और प्रखर पवार को भी CBI गिरफ्तार के के ले गई।
ये दोनों राजधानी दिल्ली के ओखला स्थिति किसी प्राइवेट कंपनी से जुड़े हुए हैं। इस मामले में पहले ही केस दर्ज किया गया था। आरोप है कि प्रोफेसर मोहम्मद खालिद मोईन कई प्राइवेट बिल्डर्स, आर्किटेक्ट और दलालों के साथ मिल कर विभिन्न प्रकार की फर्जी गतिविधियों में लगा हुआ था। घूस लेकर विभिन्न कंस्ट्रक्शन परियोजनाओं को ‘स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट’ दिए जा रहे थे। CBI ने जाल बिछाया और प्रोफेसर को उनके सहयोगियों के साथ घूस लेते हुए रेंज हाथों धर दबोचा।
आरोपितों के अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की जा रही है। आरोपितों को नई दिल्ली की अदालत में पेश किया जाएगा। बता दें कि इमारतों को बनाने से पहले उसके लिए प्रमाण पत्र लेना होता है और जाँच की जाती है कि वो कितना सुरक्षित होगा, लेकिन रिश्वत लेकर प्रमाण पत्र दे दिए जा रहे थे। प्रखर पवार एक प्राइवेट कंपनी में आर्किटेक्ट है, जबकि आबिद खान उसी कंपनी का कर्मचारी है। सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने गिरफ़्तारी की जानकारी दी।
Moin was indulging in different activities for issuing structural stability ceritificates for projects after taking bribe in connivance with builders, architects and middlemen. He was arrested in a trap case of Rs 1 lakh.
— Neeraj Chauhan (@neerajwriting) March 16, 2022
अब उन तीनों को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। ओखला के फेज-3 में स्थित उस कंपनी के साथ मिल कर ये लोग इमारतों को फर्जी प्रमाण पत्र दे रहे थे और बदले में शुल्क वसूलते थे। सरकारी संस्थाएँ ढाँचों पर सवाल खड़ा न करे, इसीलिए ये खेल किया जा रहा था। सीबीआई अब पता लगा रही है कि इन्होंने अब तक कितनी ऐसी इमारतों को इस तरीके से सर्टिफिकेट दिए हैं। गुरुग्राम के सेक्टर-109 में पिछले दिनों एक इमारत का फ्लोर गिर गया था। उस इमारत के लिए भी सर्टिफिकेट इसी प्रोफेसर ने जारी किया था। इसकी भी जाँच हो रही है।