केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने नारदा स्टिंग मामले में लिप्त रहने के आरोप में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के शीर्ष अधिकारी एसएमएच मिर्ज़ा को गुरुवार (26 सितंबर, 2019) को गिरफ़्तार कर लिया गया है। बता दें कि इस मामले में यह पहली गिरफ़्तारी है। गिरफ़्तारी के बाद पुलिस अधिकारी मिर्ज़ा को बैंकशाल कोर्ट में CBI की विशेष अदालत में पेश किया गया था, जहाँ उन्हें पाँच दिनों तक यानी 30 सितंबर तक CBI हिरासत में भेज दिया गया। IPS मिर्ज़ा उस समय वर्धमान ज़िले के पुलिस अधीक्षक थे, जब नारद न्यूज़ पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल्स ने यह स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें उन्हें पाँच लाख रुपए की कथित रिश्वत लेते देखा गया था।
ग़ौरतलब है कि नारदा स्टिंग मामला 2016 में सामने आया था। नारद न्यूज़ के मैथ्यू सैमुअल्स ने 2014 में 52 घंटे की वीडियो फुटेज वाला जो स्टिंग ऑपरेशन किया था, उसे उन्होंने 2016 में बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले अपलोड किया था। इस वीडियो में तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसदों, मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर को काम करने के एवज़ में पैसा लेते हुए दिखाया गया था।
स्टिंग ऑपरेशन में मिर्ज़ा ख़ुद यह कहते हुए दिखे कि वे तृणमूल कॉन्ग्रेस के कई मंत्री, सासंद, विधायक व नेताओं के काफ़ी क़रीबी हैं। इस मामले में CBI मिर्ज़ा से उनकी भूमिका के बारे में पूछताछ करना चाहती है। साथ ही अन्य आरोपितों के साथ मिर्ज़ा का क्या आर्थिक लेन-देन हुआ, इसका भी पता लगाने की कोशिश की जाएगी।
इस मामले में हुई पहली गिरफ़्तारी पर बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा का कहना है कि जल्द ही अन्य गिरफ़्तारियाँ होंगी। वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि IPS मिर्ज़ा की गिरफ़्तारी बहुत पहले ही हो जानी चाहिए थी।
इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद CBI को जाँच सौप दी गई थी। CBI ने तृणमूल कॉन्ग्रेस के 12 शीर्ष नेताओं और एक IPS अधिकारी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था। इन नेताओं में सांसद और पश्चिम बंगाल के मंत्री भी शामिल थे, जिनके ख़िलाफ़ रिश्वत और आपराधिक कदाचार से निपटने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। पूछताछ के लिए उन्हें निजाम पैलेस में आठ बार समन जारी किया गया था, इसके बाद उनकी गिरफ़्तारी हुई।