एमनेस्टी इंटरनेशनल ग्रुप पर CBI की टीम ने बेंगलुरु में छापा मारा। यह छापेमारी विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन के मामले में की गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के बारे में बता दें कि यह एक ग़ैर-सरकारी संगठन है, जो कहने को तो मानवाधिकार के लिए काम करता है, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और ही है।
Karnataka: Central Bureau of Investigation (CBI) team is conducting a raid on Amensty International Group in Bengaluru, in connection with violation of Foreign Contribution Regulation Act (FCRA). pic.twitter.com/NgANsQEm9V
— ANI (@ANI) November 15, 2019
दरअसल, एमनेस्टी इंटरनेशनल एक एनजीओ है जो ‘मानवाधिकारों की रक्षा’ के लेबल के नीचे लगभग छः दशकों से छुपती रही है लेकिन इसके कुकर्मों की पोल गाहे-बगाहे खुलती रहती है। इसकी शुरुआत 1961 में ब्रिटेन से हुई थी और जिसने अपना उद्देश्य मानवीय मूल्यों पर शोध एवं प्रतिरोध करना बताया था और साथ ही जगजाहिर किया था कि वह मानवाधिकारों के लिए लड़ेगा।
हालाँकि, पिछले कुछ सालों में इस एनजीओ द्वारा की गई करतूतें इसके अस्तित्व की बखिया अपने आप उधेड़ती हैं, जिसके लिए इसे कई देशों से लताड़ भी मिल चुकी है लेकिन फिर भी ये किसी देश के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज नहीं आते।
आपको बता दें कि एमनेस्टी इंडिया ख़ुद को मानवाधिकार के लिए कार्य करने वाला संगठन बताता है लेकिन ताज़ा ख़ुलासे से पता चला है कि वह एक प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी है, जो कमर्शियल रूप में कार्य करता है। उसे यूनाइटेड किंगडम स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल से फंड्स मिलते हैं। इन फंड्स का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए किया जाता है, जिसे मीडिया लपक कर भारत के प्रति नकारात्मक माहौल बनाती है। एमनेस्टी इंडिया ऐसे रिपोर्ट्स तैयार करता है, जिसमें सारा कंटेंट पहले से साज़िश के तहत तैयार रखा जाता है।
रिपब्लिक टीवी द्वारा एक्सेस किए गए डॉक्युमेंट्स के अनुसार, एमनेस्टी इंडिया को पिछले कुछ वर्षों में एमनेस्टी इंटरनेशनल से 5,29,87,663 रुपए मिले हैं। यानी लगभग 5.3 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल सिर्फ़ जम्मू कश्मीर के बारे में रिपोर्ट्स तैयार करने के लिए किया गया। 2010 में यह ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट’ के नाम से शुरू हुआ था लेकिन उन्हें ‘विदेशी योगदान नियंत्रण अधिनियम (FCRA, 2010)’ के तहत गृह मंत्रालय से इजाजत नहीं मिली।