सीबीआई ने उत्तर प्रदेश शिया वक्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी के विरुद्ध दो एफ़आईआर दर्ज की है। दोनों एफ़आईआर वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति को प्रयागराज और कानपुर में ग़ैरकानूनी रूप से बेचने, खरीदने और स्थानांतरित करने के संबंध में दर्ज की गई हैं। इन संपत्तियों की बिक्री, खरीद और स्थानांतरण को लेकर धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। फ़िलहाल सीबीआई ने इस मामले में जाँच भी शुरू कर दी है।
दरअसल, साल 2016 के अगस्त महीने के दौरान प्रयागराज में वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति की बिक्री को लेकर एफ़आईआर दर्ज की गई थी। यह मामला इमामबाड़ा गुलाम हैदर में ग़ैरकानूनी दुकानों के निर्माण और अतिक्रमण को लेकर था। इसके अलावा साल 2017 के मार्च महीने के दौरान लखनऊ में कानपुर स्थित वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति के स्थानांतरण को लेकर एफ़आईआर दर्ज की गई थी।
CBI registers two FIRs against former UP Shia Waqf Board Chairman Wasim Rizvi in connection with alleged illegal sale-purchase and transfer of Waqf properties by UP Shia Central Waqf Board and UP Sunni Central Waqf Board.
— ANI UP (@ANINewsUP) November 20, 2020
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यह मामला कानपुर स्थित स्वरूप नगर की ज़मीन पर कब्ज़ा करने को लेकर था। सीबीआई ने प्रयागराज और लखनऊ में दर्ज मामलों में आधार बनाते हुए उत्तर प्रदेश शिया वक्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज की है। इसमें स्पष्ट तौर पर आरोप लगाया गया है कि वसीम रिज़वी ने चेयरमैन रहते हुए वक्फ़ बोर्ड की संपत्तियों की खरीद और बिक्री में धोखाधड़ी की है।
लखनऊ में दर्ज किए गए मामले में वक्फ़ बोर्ड के दो अधिकारियों समेत 5 अन्य को नामजद किया गया है। शिया वक्फ़ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमितता की बात सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इन मामलों में जाँच के आदेश जारी किए थे। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित सीबीआई की भ्रष्टाचार रोधी शाखा ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420 और 506 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है। वसीम रिज़वी के अलावा वक्फ़ बोर्ड प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदन रिज़वी, वक्फ़ बोर्ड के इंस्पेक्टर वाकर रज़ा, नरेश कृष्ण सोमानी और विजय कृष्ण सोमानी को भी नामजद किया गया है।
इसके पहले वसीम रिज़वी समेत दो अन्य पर उत्तर प्रदेश के ही बिजनौर स्थित जोगीपुरा श्राइन के केयरटेकर को धमकाने और उससे जबरन वसूली करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। एडिशनल न्यायिक मजिस्ट्रेट की तरफ से आदेश जारी होने के बाद इस संबंध में एफ़आईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में शिकायतकर्ता सैयद कैसर बाकरी का कहना था कि 2018 में शिया वक्फ़ बोर्ड का चेयरमैन रहते हुए वसीम रिज़वी ने उन्हें श्राइन का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया था।
नियुक्ति के बाद वसीम रिज़वी और उनके सहयोगी रुपए की माँग करने लगे। बाकरी ने आरोप लगाया कि श्राइन में हर साल लाखों करोड़ों रुपए का आर्थिक सहयोग दिया जाता है लेकिन इसमें से एक बड़ी धनराशि वसीम रिज़वी के खाते में जाती थी। बाकरी का यहाँ तक कहना था कि साल 2019 के जून महीने में वसीम रिज़वी ने धमकी दी कि उन्हें 10 लाख रुपए नहीं मिले तो उन्हें उठवा लिया जाएगा।