महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के दो सहायकों को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पूछताछ के लिए तलब किया है। दोनों को मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की ओर से लगाए गए आरोपों के मद्देनजर समन भेजा गया है। सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि देशमुख ने सचिन वाजे को 100 करोड़ की टारगेट दे रखा था।
इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जाँच का आदेश दिया था। एजेंसी ने देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था। सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने बताया, “बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 5 अप्रैल, 2021 को केस रजिस्टर किया था।” अधिकारियों ने बताया कि संजीव पलांडे और कुंदन को हाई कोर्ट के आदेश पर शुरू की गई जाँच के तहत पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है।
Central Bureau of Investigation (CBI) has summoned two personal assistants of former Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh to record their statement
— ANI (@ANI) April 11, 2021
CBI is investigating the allegations of former Mumbai police commissioner Param Bir Singh against Anil Deshmukh pic.twitter.com/FkKZ8pCfWE
परमबीर सिंह ने पुलिस कमिश्नर के पद से हटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को यह पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा था कि देशमुख ने वाजे को मुंबई के सभी बार और रेस्टोरेंट से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करने को कहा था। एंटीलिया केस और मनसुख हिरेन की मौत के मामले में सचिन वाजे के खिलाफ जाँच चल रही है।
5 अप्रैल को दिए अपने आदेश में हाई कोर्ट कहा ने 15 दिनों के भीतर CBI को प्रारंभिक जाँच पूरा करने को कहा था। प्रारंभिक जाँच के बाद यह CBI निदेशक के ऊपर होगा कि वे इस मामले में आगे क्या कार्रवाई करना चाहते हैं। कोर्ट ने ये भी कहा था कि सरकार द्वारा कमिटी बनाने के निर्णय के बाद लगता है कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं।
महाराष्ट्र सरकार ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जाँच के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इसे बहुत ही गंभीर मामला बताते हुए इसकी जाँच को आवश्यक बताया था।
महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस कौल ने कहा था कि यह मुद्दा जनता के विश्वास का है। इस केस में जिन दो लोगों की संलिप्तता है वे एक साथ काम करते आए हैं और दोनों ही ऊँचे पदों पर रह चुके हैं। ऐसे में किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा इस मामले की जाँच किया जाना अति आवश्यक है। सर्वोच्च न्यायालय में देशमुख की पैरवी कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने की थी।