साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले (26/11) के आरोपित कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ मुंबई पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। 405 पन्नों की चार्जशीट में पुलिस ने कहा है कि तहव्वुर राणा ने आतंकी हमले के लिए रेकी में डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। यही नहीं, हमले से कुछ दिन वह मुंबई में ही मौजूद था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई क्राइम ब्रांच ने तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ जो चार्जशीट दायर की है, उनमें से कई जानकारियाँ पहले से ही । साथ ही कहा कि तहव्वुर राणा 11 नवंबर से 21 नवंबर, 2008 तक भारत में था। इस दौरान वह दो दिन मुंबई के पवई इलाके में स्थित होटल रेनेसाँ में रुका था।
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने संयुक्त पुलिस आयुक्त लखमी गौतम के हवाले से कहा है कि मुंबई आतंकी हमले की जाँच के दौरान उन्हें कई दस्तावेज मिले हैं। इनसे पता चला है कि तहव्वुर ने न केवल डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर हमले की साजिश रची बल्कि हमला खतरनाक हो इसके लिए भी उसने भरपूर प्रयास किए थे।
लखमी गौतम ने आगे कहा है, “तहव्वुर हुसैन ही वह व्यक्ति है जिसने डेविड हेडली को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पर्यटक वीजा दिलाने में मदद की थी।” वहीं एक अन्य अधिकारी का कहना है कि आतंकी हमले से पहले तहव्वुर ने भारत से दुबई गया था। इसके बाद वहाँ से चीन और फिर शिकागो चला गया। इसके अलावा डेविड हेडली ने तहव्वुर राणा को मेल कर ISI एजेंट मेजर इकबाल की मेल आईडी माँगी थी। 26/11 आतंकी हमले में इकबाल भी साजिशकर्ता था।
इस चार्जशीट को लेकर मुंबई पुलिस के अधिकारी का कहना है कि भारत तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के प्रयास में लगा हुआ है। इस चार्जशीट से उसके प्रत्यर्पण में मदद मिलेगी और उसके खिलाफ वॉरंट प्रक्रिया शुरू हो सकती है। गौरतलब है कि भारत ने तहव्वुर हुसैन राणा को भगोड़ा घोषित कर रखा है। NIA ने 28 अगस्त, 2018 को उसके खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट भी जारी किया था।
उल्लेखनीय है कि तहव्वुर हुसैन राणा को साल 2009 में शिकागो से गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वह अमेरिका की लॉस एंजेल्स जेल में बंद है। इसी साल मई में अमेरिका की एक अदालत ने तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यपर्ण को मंजूरी दे दी थी। लेकिन इसके बाद एक अन्य अदालत ने उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगा दी थी।
बता दें कि 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने अंजाम दिया था। इस हमले में 6 अमेरिकियों, सहित कुल 166 लोगों की मौत हो गई थी। साथ ही 11 जवान बलिदान हो गए थे।