सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रैफिक रामास्वामी के नाम से विख्यात केआर रामास्वामी का मंगलवार ( 4 मई 2021) को चेन्नई में निधन हो गया। वे 87 वर्ष के थे। कुछ दिनों पहले रामास्वामी को इलाज के लिए चेन्नई के राजीव गाँधी जनरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई थी, लेकिन फेफड़ों में परेशानी का इलाज चल रहा था। डॉक्टरों के मुताबिक, रामास्वामी वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे और उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद बचाया नहीं जा सका।
चेन्नई के इस प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता को राज्य में बड़े पैमाने पर पोस्टर संस्कृति के खिलाफ अभियान चलाने के लिए जाना जाता था। ट्रैफिक रामास्वामी को सड़क चौड़ीकरण, अतिक्रमण और यातायात उल्लंघन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में जनहित याचिकाएँ दायर करने के लिए भी जाना जाता था।
आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर 500 से अधिक पीआईएल
1990 के दशक में वे चेन्नई शहर के मुख्य मार्गों पर यातायात को सुचारू करने के लिए वे घंटों खड़े रहते थे। इससे केआर रामास्वामी को ‘ट्रैफिक’ उपनाम मिला। रामास्वामी ट्रैफिक को नियमित करने के बाद जल्द ही सड़क पर अतिक्रमण और ट्रैफिक से जुड़े मुद्दों में सुधार की अपनी लड़ाई को अदालत में ले गए। सैकड़ों जनहित याचिकाएँ दायर कीं जिससे वे घर-घर में पहचाना जाने वाला नाम बन गए।
केआर रामास्वामी ने अपने जीवनकाल में 500 से अधिक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की। उन्हें तमिलनाडु में कई परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 1998 में अपनी पहली जनहित याचिका उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में एनएससी बोस रोड पर एक फ्लाईओवर के निर्माण के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की थी। 2002 में उन्होंने मोटराइज्ड थ्री व्हीलर मेक-शिफ्ट ऑटो-रिक्शा के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की, जिसका इस्तेमाल मछली बेचने के लिए किया जाता था।
1 अप्रैल, 1934 को एक किसान परिवार में जन्मे रामास्वामी ने अपने जीवन के पहले 18 साल अपने परिवार की मदद करते हुए बिताए। 18 साल की उम्र में उन्होंने मद्रास के तत्कालीन मुख्यमंत्री सी राजगोपालाचारी के सहायक के रूप में काम करना शुरू कर किया। राजगोपालाचारी को रामास्वामी अपना रोल मॉडल मानते थे।
एक बार रामास्वामी ने कहा था, “राजाजी ने मुझे हमेशा गलत के खिलाफ सवाल करना सिखाया। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे हमेशा उन लोगों की बात सुननी चाहिए जो मेरी आलोचना करते हैं। हम उनके जरिए अपनी गलतियाँ खोज सकते हैं। तब से मैंने उनकी वही सलाह मानी थी।”
जयललिता के खिलाफ चुनाव भी लड़े
रामास्वामी एक निडर कार्यकर्ता थे। उन्हें चेन्नई की सड़कों पर उन्हें अक्सर राजनेताओं, व्यापारियों और आम लोगों द्वारा लगाए गए बड़े-बड़े फ्लेक्स बोर्डों और होर्डिंग्स को फाड़ते हुए देखा जा सकता था। वह एक बार उपचुनावों में जयललिता के खिलाफ भी लड़े। रामास्वामी ने तब कहा था कि उनकी लड़ाई पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ नहीं है, बल्कि तमिलनाडु में भ्रष्टाचार के खिलाफ है। हालाँकि वे महज 4590 वोट हासिल कर चुनाव हार गए थे।
अपने बेहतरीन कामों की वजह से ट्रैफिक रामास्वामी की कहानी सिल्वर स्क्रीन पर भी नजर आई। 2018 में उनकी बॉयोपिक ‘ट्रैफिक रामास्वामी’ बनी, जिसका निर्देशन विकी ने किया और उनका किरदार एस चंद्रेशखर ने निभाया था।