राजस्थान के बाराँ स्थित छबड़ा में आबिद, फरीद और समीर की चाकूबाजी के अगले दिन भड़की हिंसा में मुस्लिम भीड़ ने 6 दर्जन के करीब दुकानें जला डाली थी। कई पुलिसकर्मियों को घायल किया और बिजली-पानी की सेवाओं को नुकसान पहुँचाया। मंगलवार (अप्रैल 13, 2021) को प्रशासन ने कर्फ्यू 48 घंटे के लिए बढ़ा दिया। STF, RAC और पुलिस ने गली-मुहल्लों में मार्च किया। इंटरनेट सेवा पर पाबंदी भी गुरुवार शाम तक बढ़ा दी गई है।
छबड़ा में हुए दंगों के मामले में अब तक 25 गिरफ्तारियाँ हुई हैं। शांति समिति की बैठक प्रशासन की मौजूदगी में हुई। DM ने शांति बनाए रखने की अपील की है। छबड़ा व्यापार संघ का कहना है कि दोषियों की गिरफ़्तारी तक दुकानें नहीं खुलेंगी। व्यापारियों ने पुलिस-प्रशासन पर नाकामी के आरोप लगाए। पथराव, आगजनी, संपत्ति को नुकसान, राजकार्य में बाधा और पुलिस पर हमला सहित कई मामला दर्ज किया गया है।
धरनावदा चौराहा मुकदमा में गुर्जर समुदाय के ही कुछ लोगों को आरोपित बनाया गया है, जिनमें देवराज गुर्जर, नंदसिंह गुर्जर और महेंद्र गुर्जर के अलावा दिलखुश मीणा और लाखन के नाम हैं। मुकदमा संख्या 74 दर्ज कर फिरोज, आशिक, नदीम, अहमद, शहजाद, फतेहशाह, नियामत, अब्दुल, गुलाम, साबिर, अख्तर, यासीन, परवेज, जहूर, शहीद, शेरू, साजिद, रिजवान और मुन्ना की गिरफ़्तारी हुई है।
कारोबारियों ने नुकसान के भी आँकड़े दिए हैं। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक दुकानों में 25-30 लाख, किराने में 2 करोड़, जूते-चप्पल में 25 लाख, कपड़े की दुकानों में 50 लाख और मोबाइल की दुकानों में 40-50 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। बताया जा रहा है कि शांति समिति की बैठक भी असफल रही, क्योंकि दोनों पक्षों के लोग अपनी-अपनी माँगों पर अड़े रहे।
कॉन्ग्रेस नेता गोविन्द सोनी ने माँग की है कि अधिकारी नुकसान का आकलन कर इसकी भरपाई करें। शांति समिति की बैठक में एक पक्ष के 4 लोग पहुँचे तो दूसरे पक्ष के लोग बाद में नगर सभागार पहुँचे। भाजपा मंडल अध्यक्ष सीपी गेरा ने भी पुलिस पर ढिलाई का आरोप लगाया है। विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि दंगे और आगजनी करने वाले कितने भी प्रभावशाली हों, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
बैठक में DM और SP इन माँगों पर मौन साधे रहे। उन्होंने कहा है कि आरोपितों को चिह्नित कर उनका राउंडअप किया जा रहा है। हालाँकि, लोग संतुष्ट नहीं हुए। कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री प्रमोद जैन भाया ने क्षतिग्रस्त दुकानों का दौरा किया और अधिकारियों को कार्रवाई का निर्देश दिया। वे व्यापारियों से मिले और मुआवजे की माँग को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया।
विधायक सिंघवी का कहना है कि इस मामले की जाँच दूसरे प्रदेश के अधिकारियों से कराई जानी चाहिए, ताकि कार्रवाई निष्पक्ष हो। उन्होंने किसी जज (वर्तमान/रिटायर्ड) से जाँच की माँग की। वहीं भाजपा की 4 सदस्यीय जाँच कमिटी को छबड़ा जाने से रोक दिया गया। उन्हें कोटा में ही रोक दिया गया और अधिकारियों ने वहीं जाकर उनसे मुलाकात की। साथ ही छबड़ा के लोगों से भी फोन पर ही बात कराई गई।
अधिकारी कह रहे हैं कि नुकसान की अंतिम रिपोर्ट तैयार करने में समय लगेगा। एक युवा व्यापारी बैठक में ही रो पड़ा, जिसके बाद लोगों ने उसे दिलासा दिया। भाजपा की जाँच कमिटी के अध्यक्ष सांसद सुखबरी सिंह जौनपुरिया ने कहा कि नाकाम प्रशासन ने घटना को छिपाने के लिए दोनों तरफ बराबरी की बात कही है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि चाक़ूबाजों की तुरंत गिरफ़्तारी होती तो नौबत यहाँ तक आती ही नहीं।
वहीं गुर्जर नेता विजय सिंह बैंसला ने ऑपइंडिया को बताया था कि गुर्जर समुदाय के लोग दंगाइयों के निशाने पर थे। पहले कमल गुर्जर के साथ फरीद, आबिद और समीर ने चाकूबाजी की। अगले दिन जब दोनों समुदाय के लोगों के बीच बैठक हो रही थी तो मुस्लिम इलाके से गुजर रहे एक गुर्जर युवक पर हमला किया गया। इसके बाद हिंसा के दौरान पुलिस को भी निशाना बनाया गया।