छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में पुलिसिया क्रूरता और भ्रष्टाचार का मामला सामने आय़ा है। यहाँ पुलिस थाने में एक केस को खत्म करने के लिए थाना प्रभारी और संबंधित केस के जाँच अधिकारी ने आदिवासी महिला से 20 हजार रुपए की रिश्वत माँगी। जब महिला ने 20 हजार रुपए देने से इनकार कर दिया तो पुलिसवालों ने महिला और उसके दिव्यांग बेटे को जमकर पीटा।
रिपोर्ट के मुताबिक, घटना पलारी थाना क्षेत्र की है। थाने में महिला को बेरहमी से पीटने के बाद पुलिसवालों ने उसके दो बच्चों को भी पीटा औऱ उनसे शौचालय भी साफ करवाए। महिला को पीटे जाने की घटना के बाद लोगों ने थाने का घेराव किया औऱ इस मामले की शिकायत जिले के पुलिस अधीक्षक से की गई। मामले पर संज्ञान लेते हुए एसपी ने आऱोपित थाना प्रभारी को सीआर चंद्रा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। इसके साथ ही इस केस की जाँच का जिम्मा अब जिले के एडिशनल एसपी पीताम्बर पटेल को सौंपा गया है। उनसे एक सप्ताह के भीतर अपनी जाँच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
शिकायत के मुताबिक, पीड़ित महिला वार्ड नंबर-13 निवासी रेखा सावरा है। उसने बताया है कि उसकी बेटी 2 महीने पहले घर से भाग गई थी। इसी मामले में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उसने थाने में दर्ज कराई थी। पीड़ित महिला का कहना है कि उसकी बेटी अपनी बड़ी माँ के घर चली गई थी। लेकिन पुलिसवालों का कहना था कि वह किसी के साथ भाग गई थी।
आरोप है कि पुलिसवालों ने जाँच के नाम पर महिला को सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक उन्हें थाने में ही बिठा कर रखा था। हालाँकि, बाद में स्थानीय समाज सेविका के हस्तक्षेप के बाद उन्हें घर जाने दिया गया। साथ ही पुलिस ने उन्हें अगले दिन भी थाने बुलाया था, लेकिन अपने बेटों के साथ वह सुअर चराने चली गई थी। इसके बाद पुलिसवाले वहाँ गए और उसके बेटे समेत दो और को पकड़ ले आए। बाद में महिला से मारपीट भी की।
टीआई ने खुद को बताया निर्दोष
निलंबन के बाद थाने के सीआर चंद्र ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मैने किसी तरह की कोई भी रिश्वत नहीं माँगी थी। हमने घर से भागकर वापस लौटी महिला की बेटी को मेडिकल जाँच के लिए बुलाया था। लेकिन उसने इससे इनकार कर दिया।