छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में कॉन्ग्रेस विधायक विनय भगत के साले नीतेश भगत को गिरफ्तार कर लिया गया है। विधायक के साले पर आरोप है कि उसने छात्रा को लिफ्ट देने के बहाने सुनसान जगह पर ले जाकर दुष्कर्म का प्रयास किया था। इससे पहले मामले में पंचायत बिठाकर आरोपित को दो थप्पड़ लगाकर माफी मँगवाकर मामले को दबाने का प्रयास किया गया था।
परीक्षा देकर घर लौट रही नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ का मामला पंचायत ने दो थप्पड़ की सजा सुनाकर रफा-दफा कर दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि आरोपित कॉन्ग्रेस विधायक विनय भगत का साला है। महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें थप्पड़ मारने की रस्म आरोपित की बहन यानी विधायक की बहन ने निभाई। इसके साथ ही पीड़िता ने आरोप लगाया कि मामले को पंचायत में ही दबा देने के लिए सरपंच को आरोपित की तरफ से 50 हजार रुपए दिए गए थे। पीड़िता ने बताया कि 50 हजार में से पीड़िता के घर वालों को 10 हजार रुपए दिए गए और बाकी का पैसा पंचायत में रख लिया गया।
जानकारी के मुताबिक 12 मार्च को जशपुर में परीक्षा देकर घर लौट रही छात्रा को नीतेश भगत ने लिफ्ट देने के बहाने उसे अपनी गाड़ी में बैठाया और सुनसान रास्ते का फायदा उठाकर उसके साथ रेप की कोशिश करने लगा। तभी छात्रा ने साहस का परिचय देते हुए युवक का मोबाइल छीनकर वहाँ से भाग खड़ी हुई। घर पहुँचते ही छात्रा ने परिजनों को घटना की जानकारी दी।
जिसके बाद परिजन पीड़िता को लेकर गाँव के सरपंच के घर पहुँचे और पूरे मामले की जानकारी दी। तब सरपंच और उसके पति ने इस मामले में पंचायत में बैठक करने की बात कही। दूसरे दिन पंचायत की बैठक रखी गई। जिसमें सैकड़ों लोग मौजूद थे। बैठक में आरोपित की बहन और विधायक विनय भगत की पत्नी भी पहुँची। बैठक में आरोपित को दो थप्पड़ लगाकर माफी मँगवाकर मामले को रफा-दफा करने का फैसला किया गया।
पीड़िता पंचायत के फैसले से नाराज होकर 14 मार्च को अपने आधा दर्जन दोस्तों के साथ पुलिस स्टेशन पहुँची और आरोपित नीतेश भगत के खिलाफ कार्रवाई की माँग को लेकर शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद नीतेश भगत के खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया और फिर कार्रवाई करते हुए आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के मुताबिक चूँकि मामला हाईप्रोफाइल नेता के रिश्तेदार से जुड़ा था, इसलिए उस पर लगातार मामले में शिकायत ना करने का दबाव बनाया जा रहा था। जब पीड़िता अपने दोस्तों के साथ शिकायत करने पुलिस स्टेशन पहुँची तो पीड़िता के परिजन और ग्रामीण वहाँ पहुँचकर भी पीड़िता को मामला वापिस लेने का दबाव बनाया गया था।