दुर्ग की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2016 में अपनी अल्प वयस्क 12 साल की बेटी से रेप करने वाले 48 वर्षीय व्यक्ति को मृत्यु होने तक दोहरे कारावास की सजा दी। रामचरित मानस के किष्किंधा कांड की चौपाई का उल्लेख करते हुए जज ने ऐसे अपराधों के लिए कठोरतम सजा की पैरोकारी की।
जज ने अपना फैसला सुनाते समय किष्किंधा काण्ड की चौपाई “अनुज वधू भगिनी सुत नारी सुन सठ कन्या सम ए चारी इनही कुदृष्टि बिलोकहि जोई ताहि बधें कछु पाप न होइ।” जिसका अर्थ है कि छोटे भाई की पत्नी बहन बेटे की पत्नी तथा पुत्री एक समान हैं जिन पर गलत निगाह डालने वाले का वध करने में कोई पाप नहीं, का उल्लेख किया।
कोर्ट ने अपने निर्णय को स्पस्ट करते हुए कहा कि अभियुक्त को हुई उम्र कैद का अर्थ है कि उसे बाकी जिंदगी सलाखों के पीछे ही गुजारनी होगी।
48 वर्षीय अभियुक्त पत्नी की मृत्यु के बाद अपनी दो बेटियों जिनकी उम्र क्रमशः 12 साल व नौ साल है, के साथ स्टील सिटी भिलाई में रहता था। अभियोजन पक्ष के अनुसार अभियुक्त 2016 में लगातार 4 माह तक अपनी बड़ी बेटी से रेप करता रहा। जिसके बाद बेटी ने अपने पड़ोस की एक महिला को चिट्ठी लिख अपनी आपबीती सुनाई। बाद में इस महिला ने बच्ची के नाना को खबर की, जिन्होंने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
रेप सर्वाइवर ने अपनी शिकायत में पिता पर जबरदस्ती पोर्न फ़िल्में दिखाने का भी आरोप लगाया, जो यौन हिंसा का विरोध करने पर उसे बेल्ट से पीटता भी था।
साक्ष्यों को परखने के बाद जज ने 48 वर्षीय अभियुक्त को दफा 376 (2 )(f) तथा 376 (2)(i) के अंतर्गत मृत्यु होने तक दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ-साथ दफा 506 (भाग 2 ) के अंतर्गत 5 साल के कठोर कारावास की सजा भी सुनाई। सारी सजाएँ साथ साथ चलेंगीं।
जज ने इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 376 (2) (f) तथा (i) के तहत अभियुक्त पर 5000-5000 के दो जुर्माने भी लगाए। साथ ही अभियुक्त पर 500 रूपए का जुर्माना जान से मारने की धमकी देने के लिए भी लगाया गया।
इसके साथ साथ जज ने दुर्ग डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को विक्टिम कम्पेन्सेशन स्कीम 2011 के अंतर्गत रेप सर्वाइवर को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया।