केंद्र सरकार ने बच्चों के पाठ्य-पुस्तकों से संबंधित एक अहम फैसला लिया है। अब बच्चों को श्रीमदभगवद गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा। श्रीमदभगवद गीता (Shrimad Bhagavad Gita) के श्लोकों और संदर्भ को एनसीईआरटी (NCERT) की पाठ्य-पुस्तकों में शामिल किया जाएगा। देश की शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में पत्र लिखकर यह जानकारी दी।
केंद्र सरकार चाहती है कि छात्र भारतीय संस्कृति के बारे में सीखे। इसी के मद्देनजर यह फैसला किया गया है। शिक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि NCERT की कक्षा छठी और सातवीं की किताबों में वेदों का ज्ञान और श्रीमदभगवद गीता के संदर्भ शामिल किए जाएँगे। वहीं, कक्षा 11 और 12 की पाठ्य-पुस्तकों में संस्कृत में इसके श्लोक शामिल किए जाएँगे।
अन्नपूर्णा देवी ने बताया कि श्रीमदभगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों, विभागों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिले इनपुट के आधार पर किया गया है। इसके लिए NCERT ने काम भी शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसले से बच्चे भारतीय संस्कृति के बारे में जान सकेंगे।
अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का पैरा 4.27 भारत के पारंपरिक ज्ञान के बारे में है, जिसमें सभी के कल्याण का प्रयास है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, “अगर हमें इस शताब्दी में ज्ञान की शक्ति बनना है तो हमें अपनी विरासत को समझना होगा और दुनिया को काम करने के ‘भारतीय तरीके’ के बारे में सिखाना होगा।”
पाठ्य-पुस्तकों में श्रीमदभगवद गीता पढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले का कॉन्ग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि भाजपा शिक्षा व्यवस्था का भगवाकरण करने की कोशिश कर रही है। कॉन्ग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि अगर भाजपा श्रीमदभगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल कर रही है तो उसे अन्य धार्मिक पुस्तकों पर भी विचार करना चाहिए।
भारतीय संस्कृति और विरासत से बच्चों को अवगत कराने के संदर्भ में संसदीय पैनल ने देश के लिए बलिदान होने वाले पूर्वोत्तर के ‘गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों’ की कहानियों को भी एनसीईआरटी में शामिल करने की सिफारिश की थी।
संसदीय पैनल का कहना था कि छात्र भारत के समृद्ध इतिहास को जान सकें, इसके लिए स्कूली पाठ्य-पुस्तकों में स्वतंत्रता सेनानियों और देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका पर जोर दिया जाना चाहिए।