बेंगलुरु में होने वाले ईसाइयों के एक छ: दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण पर विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा आपात्ति ज़ाहिर करते हुए शिकायत करने के बाद बंगलुरु पुलिस ने तत्काल प्रभाव से एक्शन लेते हुए रोक लगा दी। इस कार्यक्रम में लोगों को ‘मुक्ति’ का कार्यक्रम बताकर उसमें झाड़-फूँक जैसी चीज़ों का प्रसार करने का उद्देश्य था जिस पर विहिप के गिरीश भारद्वाज ने पुलिस में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
बेंगलुरु की क्रिस्चियन कोवेनेंट कम्युनिटी द्वारा आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को 13 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक होना था। बताया जा रहा है की इसमें माल्टा के एक जादू-टोना के विश्व-विख्यात पुरोधा को मुख्य भाषण देना था वहीं इसमें भाग लेने के लिए दुबई, मलेशिया,रोम और सिंगापुर से आने की उम्मीद थी।
बता दें कि गिरीश भारद्वाज ने बंगलुरु पुलिस से अपनी शिकायत में यह कहा था कि यह कार्यक्रम न सिर्फ भारतीय वीसा नियमों का उल्लंघन है बल्कि कर्नाटक के अन्धविश्वास निर्मूलन कानून के भी खिलाफ है। वीसा नियमों के मुताबिक वीसा लेकर भारत आने वालों के लिए उपदेश देना या प्रचार करना प्रतिबंधित है, नियमों के खिलाफ है और इसीलिए उपदेशकों को भारत का वीसा नहीं दिया जाता जो हिंदुस्तान में किसी उपदेश या प्रचार के उद्देश्य से आना चाहते हैं।
Exorcism Course Event cancelled. Foreign Pastors are blacklisted for misusing Indian VISA. I have urged Bengaluru Police to Book Organisers under Karnataka Prevention and Eradication of InHuman Evil Practises Act @noconversion @lawinforce @punarutthana @UnSubtleDesi @shakkuiyer pic.twitter.com/GMqkjLV3aS
— Girish Bharadwaja (@Girishvhp) October 16, 2019
बता दें कि शिकायतकर्ता गिरीश भारद्वाज ने ट्विटर पर अपने अकाउंट से इस मामले की जानकारी देते हुए भी इस बारे में लिखा साथ ही उन्होंने उस तस्वीर को भी शेयर किया जिसमें इस बात की पुष्टि होती है कि यह कार्यक्रम अब नहीं कराया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2017 में कर्नाटक सरकार ने अन्धविश्वास के निर्मूलन के लिए ‘एंटी सुपरस्टिशन बिल 2017’ को केबिनेट की मंजूरी मिल गई थी। इसके पीछे का कारण न सिर्फ काले जादू की आड़ में चलने वाले गैर-कानूनी कामों पर रोक लगाना था बल्कि मानव गरिमा को आहत करने वाली ऐसी किसी भी रीतियों को कानूनी दायरे में लाना भी एक अहम कारण था। समाज में लंबे वक्त से पाखण्ड और अंधविश्वास ने अपनी पैठ बनाई हुई थी जिसके बाद इस तरह के कानून के बारे में विचार किया गया।