सुप्रीम कोर्ट में मनचाहे जज के सामने सुनवाई की आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सत्येंद्र जैन की अपील मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने ठुकरा दी है। सीजेआई ने कहा है कि वे किसी को जज को यह निर्देश दे सकते कि उन्हें क्या करना है।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे जैन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अभी मेडिकल ग्राउंड पर जमानत पर हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनकी स्थायी जमानत को लेकर याचिका लंबित है। इसको लेकर ही उन्होंने सीजेआई से गुहार लगाई थी।
सत्येन्द्र जैन के वकील और कॉन्ग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सत्येन्द्र जैन मामले की सुनवाई कर रही बेंच को बदलने की याचिका लगाई थी। उनकी इस याचिका को स्वीकार करने से चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने इनकार कर दिया।
जानकारी के अनुसार, सिंघवी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस चन्द्रचूड़ ने से कहा, “यह मामला पहले जस्टिस एएम बोपन्ना के सामने लंबित था, उन्होंने इस मामले को 2.5 घंटे तक सुना था। अब यह मामला जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के सामने लगाया गया है।”
सिंघवी का कहना था कि जो जज इस मामले की सुनवाई पहले कर चुके हैं, उनके सामने ही दोबारा इस मामले को लगाया जाए। सिंघवी का दावा था कि इस मामले की पूरी सुनवाई जस्टिस बोपन्ना कर चुके हैं, इसलिए उन्हें ही इस मामले का निर्णय भी सुनाना चाहिए।
इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा, “मैं दूसरे जज के सामने लगे मामले को नियंत्रित नहीं करूँगा। जिसके सामने यह मामला लंबित है वही इस मामले पर आगे कोई कदम उठाएँगे। ” इस पर सिंघवी ने चीफ जस्टिस से इस मामले के दस्तावेज देखने की बात कही। इससे भी उन्होंने इनकार कर दिया।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येन्द्र जैन पर अपनी फर्जी कम्पनियों के जरिए हवाला का कारोबार चलाने का आरोप है। इसके अलावा उनके ऊपर इस काले धन को सफ़ेद करने और इससे जमीन खरीदने जैसे आरोप भी हैं। उनका दिल्ली शराब घोटाले में भी नाम आया था।
सत्येन्द्र जैन को मई 2023 में स्वास्थ्य आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह की जमानत दी थी। इसके बाद से लगातार उनकी जमानत की अवधि बढ़ती रही है। सत्येन्द्र जैन ने इस बीच स्थायी जमानत की याचिका सुप्रीम कोर्ट के सामने लगाई थी।
हालाँकि यह कोई पहली बार नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील अपनी मर्जी के जज के सामने अपना मामला रखवाना चाहते हों। दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण जैसे वकील भी यही कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट लगातार कहता आया है कि वह ऐसे प्रयासों को सफल नहीं होने देगा।