गुजरात के बरख़ास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। कस्टोडियल डेथ के मामले में उनको यह सज़ा सुनाई गई। यह 1990 का मामला है और यह घटना जोधपुर की है। हिरासत में हुई मौत का यह मामला 30 साल पुराना है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने संजीव भट्ट से पूछा था कि उन्होंने हाई कोर्ट के 16 अप्रैल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में पहले क्यों चुनौती नहीं दी? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में निचली अदालत ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है और फैसला सुनाने की तारीख़ तय कर दी है। आज वही निर्णय निचली अदालत ने सुनाया।
पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को उम्र कैद।
— Janak Dave (@dave_janak) June 20, 2019
कस्टोडियल डेथ मामले में उम्र कैद।
जामनगर कोर्ट ने सुनाई सजा।
1990 में जाम जोधपुर में कस्टोडियल मामलें में सजा।@sanjivbhatt pic.twitter.com/fClftRHZuw
विवादित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट का आरोप था कि इस घटना में 300 गवाह थे जबकि पुलिस ने सिर्फ़ 32 गवाहों को ही बुलाया। दरअसल, 1990 में भारत बंद के दौरान गुजरात के जामनगर में भी हिंसा हुई थी। उस समय संजीव भट्ट वहाँ पर एएसपी के रूप में पदस्थापित थे। उस दौरान पुलिस ने 133 लोगों को गिरफ़्तार किया था, जिसमें से 25 घायल हुए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस दौरान प्रभुदास नामक व्यक्ति की हिरासत में ही मौत हो गई थी।
गुजरात के पूर्व IPS @sanjivbhatt को जामनगर कोर्ट ने Custodial Death के मामले में उम्रकैद की सज़ा सुनाई। 1990 में जब संजीव भट्ट ASP थे तब जाम जोधपुर में एक आरोपी की कस्टडी में मौत हुयी थी।कोर्ट ने पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी उम्रकैद की सज़ा सुनाई।
— Jitender Sharma (@capt_ivane) June 20, 2019
संजीव भट्ट सोशल मीडिया पर विवादित ट्वीट्स करने के लिए भी कुख्यात हैं। उनके ट्वीट्स अक़्सर विवाद का विषय बनते थे। उनकी पत्नी ने उनके जेल जाने के बाद मोदी सरकार पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि मोदी के पीएम बनने के बाद से ही उन पर कार्रवाई शुरू हो गई।