दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर पूर्वी हिस्से में पिछले साल हिंसा के दौरान खुफिया ब्यूरो (IB) अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में आरोपित ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसके खिलाफ गंभीर आरोप हैं। कोर्ट ने कहा कि पूर्व AAP पार्षद और मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन ने भीड़ को साम्प्रदायिक रूप से भड़काया, जिस कारण उसने दूसरे समुदाय पर हमले के लिए योजना बनाई।
न्यायाधीश ने कहा कि रिकॉर्ड में यह बताने वाली पर्याप्त सामग्री है कि आरोपित दंगा करने वाली भीड़ का हिस्सा था। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपित पर लगे आरोप गंभीर हैं, मामले में आगे की जाँच अभी जारी है और आशंका है कि यदि आरोपित को जमानत पर रिहा कर दिया गया, तो वह गवाहों को धमका सकता है और आगे की जाँच में बाधा डाल सकता है, इसलिए जमानत की अर्जी खारिज की जाती है। अदालत ने यह भी कहा कि ताहिर हुसैन ने दंगाइयों को मानव हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में दो अन्य आरोपितों- समीर खान और कासिम की जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि उन्हें जमानत दी गई, तो उनके भागने की पूरी आशंका है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में बीते साल संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प होने के बाद 24 फरवरी को दंगे भड़क गए थे, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे। IB अधिकारी अंकित शर्मा का शव उनके लापता होने के एक दिन बाद 26 फरवरी को दंगा प्रभावित चाँद बाग इलाके में उनके घर के निकट एक नाले से मिला था।
अंकित शर्मा की हत्या के पीछे रची गई थी गहरी साजिश
अंकित के परिजनों ने शक जताया था कि उनका हत्यारा कोई और नहीं बल्कि ताहिर हुसैन ही था। अंकित के पिता और भाई का आरोप था कि हिंसा के दौरान ताहिर हुसैन के समर्थक अंकित को खींचकर ले गए और उनकी हत्या करने के बाद शव नाले में फेंक दिया गया था। अंकित शर्मा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उनके सिर, चेहरे, छाती, पीठ और कमर पर धारदार हथियार से 450 से ज्यादा बार वार करने का पता चला था। दिल्ली पुलिस ने पिछली जून में दायर अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया था कि शर्मा की हत्या के पीछे गहरी साजिश थीं, क्योंकि वह विशेष रूप से हुसैन के नेतृत्व वाली भीड़ का लक्ष्य थे।