दिल्ली के जंतर-मंतर में पूर्व भाजपा प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय के द्वारा आयोजित रैली में मुस्लिम विरोधी नारे लगाए जाने के मामले में मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने यह कहते हुए उपाध्याय को जमानत दी है कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह पता चले कि भड़काऊ नारे उपाध्याय के कहने पर या उनकी उपस्थिति में लगे हों। उपाध्याय को मंगलवार (10 अगस्त 2021) को गिरफ्तार किया गया था।
मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के न्यायाधीश उद्भव कुमार जैन ने आदेश पारित करते हुए कहा कि यहाँ प्रस्तुत किए गए रिकॉर्ड्स में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताता हो कि भड़काऊ नारे उपाध्याय के कहने पर लगाए गए हों या फिर उनकी उपस्थिति उस दौरान रही हो। कोर्ट ने कहा कि जिस वीडियो के आधार पर यह कार्रवाई की गई है उसमें उपाध्याय के विरोध में कुछ भी नहीं है। कोर्ट ने जमानत का आदेश पारित करते हुए कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहाँ आवेदक (उपाध्याय) के फरार हो जाने की गुंजाइश हो। कोर्ट ने यह भी माना कि निश्चित तौर पर बंद दरवाजों के पीछे साजिश हुई है और कहा कि चूँकि जाँच अभी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है ऐसे में केवल संभावनाओं के आधार पर किसी की स्वतंत्रता को प्रभावित नहीं किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को ख़त्म करने की माँग करते हुए उपाध्याय ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था। विरोध प्रदर्शन अंग्रेजों के जमाने के उन कानूनों को लेकर था, जिनका इस्तेमाल कर के ब्रिटिश भारतीयों पर अत्याचार करते थे। चूँकि ये कानून अभी भी मौजूद हैं, इसीलिए इस विरोध प्रदर्शन में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ की माँग की गई, ताकि देश में सभी नागरिकों के लिए समान कानून हो। उपाध्याय द्वारा आयोजित इसी विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ अज्ञात लोगों द्वारा मुस्लिम विरोधी नारेबाजी भी हो गई। इस नारेबाजी का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
वीडियो वायरल होने के बाद दिल्ली पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मंगलवार (10 अगस्त, 2021) को अश्विनी उपाध्याय एवं उनके अन्य सहयोगियों विनोद शर्मा, दीपक सिंह, दीपक, विनीत क्रांति और प्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। हालाँकि उपाध्याय द्वारा इस नारेबाजी के संबंध में दिल्ली पुलिस को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा कि सोशल मीडिया पर उन्हें बदनाम करने के लिए उनके नाम से वीडियो वायरल किया जा रहा है जबकि नारेबाजी करने वालों को वह जानते भी नहीं हैं।
उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को लिखित शिकायत देकर मजहबी उन्माद फ़ैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का निवेदन किया। AAP विधायक अमानतुल्लाह खान ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके खिलाफ खुद भड़काऊ बातें कहने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी।
उपाध्याय ने दिल्ली पुलिस को जानकारी दी है कि इस रैली में कुछ असामाजिक तत्व घुस गए थे, जिन्होंने इस कार्यक्रम को बदनाम करने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि वो दोपहर 12:15 बजे ही कार्यक्रम स्थल से निकल गए थे। उपाध्याय ने ये भी कहा कि जो लोग इस वीडियो को उनके नाम पर शेयर कर के फैला रहे हैं, उनके खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि कि जब तक 1860 की IPC, 1861 का पुलिस एक्ट और 1872 का एविडेंस एक्ट लागू रहेगा, मजहबी उन्माद काबू में नहीं आएगा। फिलहाल इस मामले की जाँच की जा रही है।