दरभंगा बम ब्लास्ट की जाँच आगे बढ़ने के साथ ही आतंकियों से पूछताछ में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। ये ब्लास्ट दरभंगा जंक्शन पर जून 17, 2021 को दोपहर 3:25 बजे हुआ था। ब्लास्ट भले ही दरभंगा में हुआ, लेकिन आतंकियों की गिरफ़्तारी तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद और उत्तर प्रदेश के शामली में स्थित कैराना से हुई है। अब तक इसमें सलीम, कफील नासिर, इमरान और इक़बाल काना जैसे आतंकियों के नाम सामने आए हैं।
ये सभी आतंकी शामली के ही निवासी हैं। सलीम, कफील, नासिर और इमरान को पाकिस्तान से फंडिंग मिल रही थी। ये चारों देश के कई इलाकों को दहलाने की साजिश कर रहे थे। लेकिन, इन सबका आका इक़बाल काना अभी भी पाकिस्तान में बैठा हुआ है। ये भी कैराना का ही रहने वाला है, लेकिन अब ये पाकिस्तान में रह कर लशकर-ए-तैय्यबा (LeT) के इशारे पर भारत में आतंकी हमलों की साजिश रचता है।
शुरुआत में वो सोने की तस्करी करता था, लेकिन फिर उसने नकली नोटों का काला धंधा जमाया और फिर हथियारों की तस्करी में पैठ बनाई। 1995 में पुलिस ने जब उस पर शिकंजा कसना शुरू किया तो वो पाकिस्तान भाग खड़ा हुआ। इकबाल काना ने ही सलीम को बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन उसे एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो रेलवे के जरिए कपड़ों का व्यापार करता हो। ऐसे ही उसने मलिक भाइयों को खोजा।
शामली के ही नासिर और इमरान मलिक हैदराबाद में रह कर कपड़ों का व्यापार करते थे। सलीम का अब्बा कफील भी इस पूरी साजिश में शामिल था। कफील फ़िलहाल पटना के बेऊर जेल में है। सलीम को इस काम के लिए पौने दो लाख रुपए दिए जा चुके थे। इक़बाल काना ने ही इंटरनेट के जरिए उसे लिक्विड बम बनाने का वीडियो भेजा था और उसे देख कर सलीम ने पूरी प्रक्रिया सीखी। अब NIA इस मामले में और भी गिरफ्तारियाँ कर सकती है।
Mohammed Nasir Khan,one of the four Lashkar-e-Taiba terrorists arrested by @NIA_India in Darbhanga blast case, reportedly made his family believe that he was on the payrolls of a woman officer working for RAW, the country’s foreign intelligence agency.#Hyderabad @THHyderabad pic.twitter.com/ZIkaE8OEYR
— Abhinay Deshpande (@iAbhinayD) July 4, 2021
जहाँ तक इकबाल काना की बात है, वो अभी भी उत्तर प्रदेश के मुस्लिमों का ब्रेनवॉश कर के उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की साजिश में लगा हुआ है। उसे उसके साथियों द्वारा ‘हाफिज इक़बाल’ या ‘मलिक भाई’ कह कर भी बुलाया जाता है। कैराना के सरावज्ञान के रहने वाले हाजी अकबर के तीन बेटों में वो दूसरे नंबर पर था। उसके अब्बा अकबर चौक बाजार में ठेले पर फल-सब्जी बेचते थे।
उसने सहारनपुर जिले के गाँव खेड़ा अफगान की एक महिला से निकाह भी किया था, लेकिन दो बेटियाँ होने के बावजूद ये रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चला। उसने अपनी बीवी को तलाक दे दिया, जिसके बाद उसके अब्बा ने उसे घर से ही निकाल दिया। 90 के दशक में उसकी तस्करी गिरोह के 75 पिस्टल बरामद हुए थे। उसकी अम्मी ने 2014 में सरावज्ञान वाला घर बेच दिया था। परिवार अब कहीं और रहता है। इक़बाल काना फ़िलहाल पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में रहता है।
वहीं नासिर मलिक ने अपने परिवार को बताया हुआ था कि वो भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी RAW की एक महिला अधिकारी के लिए काम करता है। इसी बहाने वो देर रात फोन कॉल्स पर व्यस्त रहता था और देश के दुश्मनों के दाँत खट्टे करने की बात करता था। 2012 में इसी बहाने वो पाकिस्तान से भी हो आया था। वो टाइमर IED बम ब्लास्ट में एक्सपर्ट है। उसकी गिरफ़्तारी के बाद भी परिवार कहता रहा कि वो ‘भारतीय जासूस’ है।
धमाके के लिए रखे नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड में आतंकियों के सोचे समय पर रिएक्शन नहीं हुआ, जिससे एक बड़ी तबाही टल गई। पार्सल में रखे बम में ब्लास्ट तब हुआ, जब ट्रेन दरभंगा स्टेशन पहुँच चुकी थी। आतंकियों की साजिश थी कि 15-16 जून की मध्य रात्रि में विस्फोट किया जाए। इसके लिए जगह के रूप में सिकंदराबाद स्टेशन से 132 KM दूर काजीपेट जंक्शन को चुना गया था। ऐसा होता तो जानमाल की बड़ी क्षति हो सकती थी।