कुख्यात गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के शूटर रहे एजाज लकड़वाला की गिरफ्तारी के बाद से कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पुलिस की आँखों में धूल झोंकने के लिए एजाज ने तमाम जतन किए। रूप-रंंग बदला। अपनी फर्जी पहचान के हिसाब से जीवनशैली भी बदली। असली पहचान छिपाने के लिए हिंदू नामों का इस्तेमाल किया। इनमें अक्षय प्रीतमदास भाटिया और मनीष आडवाणी जैसे नाम प्रमुख हैं।
फरारी के दौरान अलग-अलग वेशभूषा वह विभिन्न देशों में घूमता रहा। वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगा था। लेकिन करीब 22 साल की लंबी जद्दोजहद के बाद मुंबई पुलिस ने उसे पटना के मीठापुर बस स्टैंड से पिछले दिनों दबोच लिया था। उसके ख़िलाफ़ हत्या व हत्या के प्रयास के 27 मामले दर्ज हैं। वह 1998 से ही भारत के मोस्ट वॉन्टेड की सूची में शामिल है। उसके ख़िलाफ़ रंगदारी के 80 मामले दर्ज हैं। मुंबई में पले-बढ़े लकड़वाला ने अपने चाचा के ट्रैवेल कम्पनी से करियर की शुरुआत की थी। लेकिन कुछ दिन बाद वह अंडरवर्ल्ड से जुड़ गया। 22 वर्ष की उम्र में ही उसने पहला ख़ून किया था।
एजाज लकड़वाला के बारे में पता चला है कि वो कई वर्षों से काठमांडू में छिपा हुआ था। उसका कारोबार नेपाल की राजधानी काठमांडू से लेकर पोखरा तक फैला हुआ है। उसने होटलों में निवेश से लेकर सोने की तस्करी तक अपने धंधे फैला रखे हैं। मुंबई के सिनेमाई हस्तियों और कारोबारियों से उगाही गई रंगदारी की रकम उसके पास हवाला के जरिए पहुँच रही थी। बेटी सोनिया भी उसके इस धंधे में शामिल थी। उसने हाल ही में एक फ़िल्म कारोबारी से रंगदारी माँगी थी।
बता दें कि सोनिया पहले ही गिरफ़्तार की जा चुकी है। उससे मिली जानकारियों के आधार पर ही एजाज पकड़ा गया था। जब उसे पकड़ा गया तो वह दरभंगा जा रहा था। बताया जा रहा है कि वह दरभंगा से आधार कार्ड बनवाने की फ़िराक़ में था। असल में एजाज एक नई पहचान के लिए बेचैन था। उसे इस बात की भनक मिल गई थी कि मुंबई पुलिस को उसके ठिकाने की खबर लग चुकी है। गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद नेपाल में भी भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी ने उस पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। आईबी की एक टीम ने एजाज का पता लगा लिया था। एजेंसी को पता था कि वो बिहार के रास्ते भागने का प्रयास करेगा और यही हुआ भी। एजाज लगातार अपनी गाड़ी बदल रहा था और आईबी के लोग भी उसका पीछा करते हुए गाड़ियाँ बदल रहे थे।
एजाज ने पूछताछ में बताया है कि उसने वीरगंज के रास्ते भारत में एंट्री की। वह पटना से दरभंगा जाने वाला था। इससे पहले कि वह फ़र्ज़ी आधार कार्ड बनवाता, वह पकड़ा गया। 3 जनवरी को भी एजाज ने एक उद्योगपति से फोन पर रंगदारी माँगी थी। लकड़वाला इससे पहले भी गिरफ़्तार किया जा चुका है। उसे 1995 में गिरफ़्तार किया गया था लेकिन मात्र 2 साल जेल में रहने के बाद उसे बरी कर दिया गया था। उसे दोबारा फिर गिरफ़्तार कर नासिक जेल में रखा गया। उसने जेल से भागने के लिए मनीष श्याम आडवाणी के नाम से पासपोर्ट बनवाया था।
Who is underworld don Ejaz Lakdawala
— Times of India (@timesofindia) January 10, 2020
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बाद में उसकी बेटी सोनिया शेख की आईडी कार्ड में उसके पिता का नाम मनीष श्याम पाया गया था। लकड़वाला 1998 में नासिक जेल से भाग निकला। 2003 में उसके और छोटा शकील के गैंग के बीच लड़ाई चलती थी। उसने डी-कम्पनी के सबसे बड़े फिनांसर शरद शेट्टी को मार डाला था। उससे पूछताछ के दौरान कई और राज खुलने की संभावना है।