मुंडका आग हादसे के देवदूत: क्रेन ड्राइवर अनिल तिवारी और दयानंद तिवारी ने 50 लोगों को बचाया, हिन्दू हैं इसीलिए दबा रहा लिबरल गैंग?

क्रेन ड्राइवर्स अनिल तिवारी और दयानंद तिवारी ने 11,000 वोल्टस के तार की परवाह किए बिना दिखाई बहादुरी

दिल्ली के मुंडका में लगी भीषण आग में लपटों के बीच फंसे लोगों के लिए शुक्रवार को देवदूत बनकर दो क्रेन चालक आए। मुंडका से गुजरते वक्त इन्होंने देखा कि एक 4 मंजिला इमारत धू-धू कर जल रही है और उसके अंदर कई सारे लोग फँसे हुए हैं। इसके बाद इन्होंने अपनी परवाह न करते हुए 50 से भी अधिक लोगों को बचाया।

न्यूज 18 की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्रेन के ड्रायवर थे दयानंद तिवारी और उनके साथ एक अन्य ड्रायवर अनिल तिवारी थे। दयानंद बताते हैं कि वो लोग मुंडका उद्योग से लौट रहे थे। रास्ते में देखा कि एक बिल्डिंग धू-धू कर चल रही है। इस पर उन लोगों ने लोगों की मदद करने के लिए रॉन्ग साइड से क्रेन लेकर जाने का फैसला किया।

क्रेन ड्रायवर दयानंद तिवारी बताते हैं कि वो फुटपाथ पर क्रेन को चढ़ा दिए और उसके बीच से निकलकर वहाँ पहुँचे। इस बीच एक आदमी ने भी उनसे मदद माँगी की आ लगी है और क्रेन लेकर उसकी मदद करो। दयानंद तिवारी ने कहा कि हम लोगों ने करीब 50 लोगों को बचाया। इसमें ज्यादातर महिलाएँ और बच्चे थे।

काँच टूट रहा था और आग लपटें मार रही थी

एक अन्य चालक अनिल तिवारी का कहना है कि उन लोगों ने 50-55 लोगों को रेस्क्यू किया। वो बताते हैं कि रेस्क्यू बहुत ही मुश्किल था, क्योंकि ऊपर से 11,000 वोल्ट का तार गुजर रहा था। बिल्डिंग से आग की लपटें उठ रही थीं, जिसके कारण खुद के भी जलने का खतरा बना हुआ था। वहाँ पर भीड़ और गर्मी दोनों बहुत ज्यादा थे, जिस कारण से शरीर साथ नहीं दे रहा था। हालाँकि, दमकल के आने तक हम लोग वहाँ रहे और फिर वहाँ से चले गए। आग से बचने के लिए तो कुछ लोग रस्सी के सहारे भी कूद रहे थे, जिन्हें क्रेन ड्रायवरों ने ही अपने बेल्ट दिए ताकि वो सुरक्षित रहें।

क्या है मामला

शुक्रवार 13 मई को दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में एक बिल्डिंग में लगी भीषण आग में 27 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। 12 लोग बुरी तरह से झुलसे भी थे, जिनका इलाज चल रहा है। पुलिस ने कम्पनी के 2 मालिकों को भी गिरफ्तार कर लिया था।

ऐसी ही हिम्मत राजस्थान में पुलिस कॉन्स्टेबल ने दिखाई थी

गौरतलब है कि दिल्ली के क्रेन ड्रायवरों की ही तरह हिम्मत बीते दिनों राजस्थान पुलिस के एक कॉन्स्टेबल ने भी दिखाई थी। पिछले महीने अप्रैल (2022) में जब करौली में हिंसा भड़की तो आगजनी के दौरान एक घर जल रहा था। उसमें कई महिलाएँ और एक बच्ची भी थी। इन्हें बचाने के लिए राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल नेत्रेश शर्मा आग की लपटों के बीच एक छोटी सी बच्ची को खुद से चिपका भागते दिखे थे। उनके पीछे-पीछे एक महिला भी अपनी जान बचाकर भाग रही थी।

हालाँकि, कई सारे लेफ्ट और लिबरल्स मीडिया गिरोहों ने इन खबरों को दरकिनार कर दिया। उन्होंने इसे दिखाने लायक ही नहीं समझा। ऐसा लगता है कि हिंदू होने के कारण कुछ मीडिया और कथित उदारवादी लोग इन लोगों की हिम्मद और साहस को दुनिया के सामने ही नहीं लाना चाहते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया