दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में कई बेकसूरों की जान गई। इन बेकसूरों में एक नाम नरेश सैनी का भी है। नरेश अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने कई दिन तक जीटीबी अस्पताल के आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ी और 4 मार्च को आखिरी साँस लेते हुए सबको हमेशा के लिए अलविदा कह गए।
ब्रह्मपुरी इलाके के गली नंबर-1 में रहने वाले नरेश सैनी हिंसा वाले दिन अपने घर से मंदिर बचाने निकले थे। उस समय सुबह के 4: 30 बजे। अन्य गली वालों की तरह उन्हें भी यही मालूम चला था कि मुस्लिमों की भीड़ मंदिर तोड़ने आई है। बस फिर क्या था? वो भी बाकी गली वालों के साथ निकल गए।
नरेश के परिजनों के मुताबिक, जब वो यहाँ से मंदिर की ओर भागे उस समय सामने से 400-500 लोगों की भीड़ आई और उस भीड़ में से ही किसी ने नरेश पर गोली चला दी। गोली लगने के बाद नरेश की हालत इतनी गंभीर हो गई कि वो दोबारा होश में नहीं आए। उन्हें जीटीबी अस्पताल भी ले जाया गया, लेकिन वहाँ भी वे आईसीयू में भर्ती रहे और 4 तारीख को उन्होंने दम तोड़ दिया।
परिजन बताते हैं कि दंगाई भीड़ ने जिस समय नरेश पर हमला किया उस समय वह बिलकुल निहत्थे थे, वे घर के पास स्थित मंदिर को बचाने निकले थे, मगर उन्हें क्या पता था कि उस दंगाई भीड़ का कहर उनपर ही टूटेगा।
गौरतलब है कि बेकसूर होने के बावजूद जान गँवाने वालों में नरेश सैनी की कहानी अकेले इतनी पीड़ादायक नहीं है। गोकुलपुरी के नितिन, आलोक तिवारी जैसे अनेकों की कहानियाँ बेहद दर्दनाक है। जिन्हें सुनकर ही मन सिहर जाए। दिलबर नेगी के साथ हुई निर्ममता तो रूह कँपा देने वाली है। 24 फरवरी को जिस समय दिल्ली में हिंसा भड़की थी, उसी शाम इन दंगों की क्रूर वास्तविकता का शिकार 20 साल के दिलबर सिंह नेगी को होना पड़ा था। दिलबर सिंह नेगी को दंगाइयों की भीड़ ने तलवार से काटने के बाद जलते हुए घर में आग के हवाले कर दिया था। बाद में जलकर राख हुए दिलबर नेगी की विडियो भी वायरल हुई थी।