इस्लामी कट्टरपंथी PFI ने किया ताहिर हुसैन का बचाव, कहा- ‘हुआ गंदी राजनीति का शिकार’

ताहिर हुसैन की तलाश में लगातार छापेमारी (फाइल फोटो)

दिल्ली में हिंदू-विरोधी दंगे और अलीगढ़ में हुए हालिया दंगों के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और भीम आर्मी का हाथ होने की बात सामने आने के बाद अब यह इस्लामी कट्टरपंथी संगठन आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की बचाव में आया है। पीएफआई का कहना है कि ताहिर ‘गंदी राजनीति’ का शिकार हो गया है। इसके साथ ही पीएफआई ने ताहिर को पार्टी से निलंबित करने को लेकर दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी जमकर निशाना साधा।

बता दें कि पूर्वोत्तर दिल्ली में हिंसा के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या कर दी गई थी। इसका आरोप AAP के पार्षद ताहिर हुसैन पर लगा था, जिसके बाद केजरीवाल ने पीछा छुड़ाने के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया था। अंकित शर्मा का शव 26 फरवरी को चाँद बाग के एक नाले से मिला था। अंकित शर्मा के पिता राजिंदर कुमार का आरोप है कि उनके बेटे की हत्या के पीछे ताहिर हुसैन का हाथ है। 

उन्होंने दिल्ली के दयालपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए AAP के निलंबित नेता और नगर पार्षद ताहिर हुसैन के अलावे कई अन्य लोगों को भी आरोपित बनाया है। अंकित के पिता रविन्द्र शर्मा की तहरीर पर दिल्ली पुलिस ने हिंसा को बढ़ावा देने, आगजनी और अंकित की हत्या सहित कई मामलों नगर पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन के घर को सील कर उसके ख़िलाफ़ जाँच शुरू कर दी है।

राजिंदर कुमार ने एफआईआर में बताया कि अंकित मंगलवार (फरवरी 25, 2020) को लगभग 4.30 बजे काम से लौटने के बाद लापता हो गया था। उनके भाई अंकुर ने आरोप लगाया कि ताहिर हुसैन के लोगों ने उन्हें उनके दो दोस्तों के साथ पकड़ा और घसीटकर ले गए। बाद में उनका शव बुधवार (फरवरी 26, 2020) को पूर्वोत्तर दिल्ली में एक नाले में पाया गया।

अंकित के पिता ने बताया, “25 फरवरी को मेरा बेटा अंकित कुछ खरीदने के लिए घर से निकला। जब वह नहीं लौटा, तो हमने उसकी तलाश शुरू की। सबसे पहले हम खजुरी खास, दयालपुर क्षेत्रों के नजदीकी पुलिस स्टेशनों में गए और आसपास के अस्पतालों में पूछताछ की। रात भर उसकी तलाश करने के बाद हमने 26 फरवरी को पुलिस में एक गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई।”

हालाँकि, ताहिर ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है और कहा कि उसे फँसाया जा रहा है। उसने कहा, “मैं वहाँ मौजूद नहीं था। मैं खुद अपने बच्चों और परिवार को बचाने की कोशिश कर रहा था। यह बहुत दुख की बात है कि उन्होंने (अंकित के माता-पिता) अपने बच्चे को खो दिया, लेकिन वे जो चाहें कह सकते हैं। मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं है। ये आरोप झूठे हैं और इसके लिए मुझे फ्रेम करना गलत है।”

गौरतलब है कि पिछले साल साल भी यूपी और CAA के विरोध में हुई हिंसा के पीछे पीएफआई का हाथ सामने आया था। इसके अलावा शाहीन बाग फंडिंग मामले में भी ईडी ने इसकी संदिग्ध भूमिका बताई थी। ED की रिपोर्ट में पाया गया था कि PFI के एक्टिविस्ट और कार्यकर्ता देश भर से लोगों से रुपए इकट्ठा करते हैं और इस रुपए को उस क्षेत्र के ही किसी आदमी को सौंप देते हैं, जो कि फिर दिल्ली आकर इस कैश को PFI के हेडऑफिस में छोड़ जाते हैं, जो कि शाहीन बाग़ के ही पास है।

ईडी के मुताबिक नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश होने के बाद कुल 15 खातों में 1.04 करोड़ रुपए जमा किए गए, जिसमें 10 खाते पीएफआई और 5 खाते रिहैब इंडिया फाउंडेशन के हैं। ये जमा राशियाँ 5 हजार से लेकर 49 हजार रुपए तक थीं और इन्हें नकद अथवा मोबाइल का इस्तेमाल कर तत्काल भुगतान सेवा द्वारा जमा कराया गया था। जमाकर्ता की पहचान छुपाने के लिए धनराशि 50 हजार से कम रखी गई थी। इन 15 बैंक खातों से 4 दिसंबर 2019 से 6 जनवरी 2020 के दौरान 1.34 करोड़ रुपए निकाले गए। इस धन का नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में इस्तेमाल किया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया