शराब घोटाले में दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर बुधवार (3 अप्रैल 2024) को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सीएम केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता और कॉन्ग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी के पेश हुए, जबकि सरकार का पक्ष एएसजी एसवी राजू ने रखा।
दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश स्वर्णकांता शर्मा की पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान ED ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध हुआ है और इसमें कोई शक नहीं है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल खुद को संत की तरह प्रदर्शित करते हैं, लेकिन उन्होंने घोटाले में जो भी किया है वह बेहद चतुराई से किया है।
ED की ओर से एएसजी ने कहा कि बहुत मुश्किल से सबूत इकट्ठा किए गए हैं। उन्होंने कहा, “हम आम आदमी पार्टी की कुछ संपत्ति भी जब्त करना चाहते हैं। यदि हम ऐसा करेंगे तो कहा जाएगा कि चुनाव के समय पर ऐसा किया जा रहा है और नहीं करेंगे तो कहा जाएगा कि सबूत कहाँ है। मैं बहुत दुविधा में हूँ।”
राजू ने कोर्ट को बताया कि आबकारी नीति में 5 प्रतिशत प्रॉफिट को 12 प्रतिशत इसलिए किया गया, क्योंकि 7 प्रतिशत की रिश्वत ली जा सके। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि घोटाला हुआ है। शिकायत के बावजूद इंडो स्प्रिट को लाइसेंस दिया गया। इतना ही नहीं, जिन्होंने रिश्वत देने से मना किया, उन्हें लाइसेंस वापस देने को कहा गया।
उधर, अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश सिंघवी ने इस मामले में गवाहों और ईडी के बीच फिक्स्ड मैच बताया। उन्होंने कहा कि गवाहों ने अपने शुरुआती बयानों में अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं लिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि ED ने इन लोगों पर दबाव डालकर बयान दिलवाए हैं। केजरीवाल का नाम लेने के बाद इन सभी गवाहों को राहत दी गई।
सिंघवी ने कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का उद्देश्य अरविंद केजरीवाल को अपमानित करना और चुनाव प्रचार में शामिल होने से रोकना है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के पास से PMLA कानून के तहत धारा 50 की कोई सामग्री नहीं है। उन्हें बिना किसी जाँच, बयान और सबूत के गिरफ्तार किया गया है।
ईडी ने कोर्ट को बताया कि अरविंद केजरीवाल ने घोटाले के पैसों का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए गोवा चुनाव अभियान में किया था। जाँच एजेंसी ने साफ तौर पर यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल सीधे तौर पर उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण में शामिल थे और वही उसके मुख्य साजिशकर्ता हैं।
वहीं, ED ने अपने जवाब में यह भी कहा कि साउथ ग्रुप को दिए जाने वाले लाभों को ध्यान में रखकर इस शराब नीति को तैयार किया था। इसके गठन में विजय नायर, मनीष सिसोदिया और साउथ ग्रुप के सदस्य प्रतिनिधियों की मिलीभगत थी। अरविंद केजरीवाल ने उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में लाभ देने के बदले में साउथ ग्रुप से रिश्वत की माँग की थी।