दिल्ली की एक अदालत ने जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की ‘छात्रा’ और ‘पिंजरा तोड़’ की सदस्य देवांगना कलिता की दिल्ली हिन्दू विरोधी दंगों के मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एडिशनल सेशन जज) अमिताभ रावत ने देवांगना की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन पर लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही लगते हैं।
देवांगना को फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगे और सीएए-एनआरसी से जुड़े दंगे भड़काने के आरोप में गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
#BREAKING #DelhiRiots : Delhi Court dismisses bail application by Devangana Kalita in the riots case under UAPA.
— Bar & Bench (@barandbench) January 29, 2021
Court observes that there were reasonable grounds to believe that the allegations against her were prima facie true.
@PinjraTod @DelhiPolice #DevanganaKalita pic.twitter.com/PW8T0R2fGd
दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगे भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाने के चलते दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 23 मई 2020 को देवांगना कलिता को गिरफ्तार किया था। देवांगना, पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्यों में एक हैं, जो कथित तौर पर लैंगिक समानता के लिए कार्य करता है। देवांगना पर दंगों की साज़िश रचने के लिए यूएपीए के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। जमानत पर रिहा होने के ठीक बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा (क्राइम ब्रांच) ने देवांगना को मई में गिरफ्तार किया था।
जाफराबाद पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं, आर्म्स एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम के विध्वंस की रोकथाम के अंतर्गत दर्ज एफ़आईआर में भी कलिता का नाम मौजूद है। 28 जनवरी 2021 को दिल्ली की अदालत ने पिंजरा तोड़ की एक अन्य ‘कार्यकर्ता’ नताशा नरवाल की जमानत याचिका खारिज की थी।
इन जमानत याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए अदालत ने कहा कि रास्ते जाम करना जिससे आवश्यक सेवाएँ बाधित होती हैं, पुलिसकर्मियों पर हमला और दंगों को भड़काना यूएपीए के प्रावधानों के अंतर्गत आतंकवादी गतिविधि के दायरे में आता है।
दंगे भड़काने वाला वामपंथी समूह ‘पिंजरा तोड़’
सीलमपुर और जाफराबाद के तमाम निवासियों ने पिंजरा तोड़ समेत तमाम सिविल सोसाइटी समूहों पर देश की राजधानी में दंगे भड़काने का आरोप लगाया था। पिंजरा तोड़ छात्राओं का समूह होने दावा करता है जो विश्वविद्यालय से जुड़े मामलों और सुविधाओं के लिए लड़ता है, लेकिन ऐसे तमाम प्रदर्शन और अभियान में शामिल रहा है जो उग्रवादी मानसिकता से प्रेरित थे।