दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार (27 जुलाई) को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) प्रमुख जेए जयलाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने किसी भी धर्म को बढ़ावा देने के लिए संस्थान के मंच का इस्तेमाल नहीं करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस आशा मेनन की एकल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस ने आईएमए प्रमुख से भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों के विपरीत किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होने और अपने पद की गरिमा बनाए रखने को कहा है। इससे पहले द्वारका कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जयलाल अपने पद की गरिमा को बनाए रखें। अदालत ने साथ ही ये भी कहा था कि IMA जैसी संस्था का इस्तेमाल किसी धर्म को बढ़ावा देने की बजाए अपना ध्यान मेडिकल क्षेत्र की उन्नति और इससे जुड़े लोगों की भलाई में लगाएँ। ट्रायल कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में कहा था, ”ईसाई धर्म और एलोपैथी एक समान हैं और यह पश्चिमी दुनिया का एक उपहार है, सबसे गलत दावा है।”
दरअसल, ट्रायल कोर्ट ने रोहित झा नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर मुकदमे के संबंध में मामले की सुनवाई की, जिसने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि जयलाल ने ईसाई धर्म को बढ़ावा देकर हिंदू धर्म के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था।
रोहित झा द्वारा मुकदमा दायर किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि जयलाल ने कोरोना से संबंधित जटिलताओं के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं पर एलोपैथिक दवाओं की श्रेष्ठता साबित करने के बहाने ईसाई धर्म को बढ़ावा देकर हिंदू धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार करने लिए अभियान शुरू किया था। झा ने 30 मार्च, 2021 को प्रकाशित एक समाचार लेख के साथ नेशन वर्ल्ड न्यूज में जयलाल और बाबा रामदेव की एक बहस क्लिप के साथ साक्ष्य प्रस्तुत किया था।
यह दूसरी बार है जब दिल्ली हाईकोर्ट ने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए अपने मंच का दुरुपयोग करने के लिए डॉ. जयलाल को फटकार लगाई है। इससे पहले जून में द्वारका कोर्ट ने आईएमए प्रमुख के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि वह किसी विशेष धर्म के प्रसार में अपने पद और संगठन का इस्तेमाल न करें।
हिंदुओं को ईसाई बनाने के लिए अस्पतालों का करें इस्तेमाल: जयलाल
जयलाल ने इस साल की शुरुआत में अपने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि ईसाई डॉक्टरों को समग्र उपचार प्रदान करने की विशेष दक्षता प्राप्त है, जिसमें आध्यात्मिक, मानसिक और सामाजिक उपचार शामिल हैं। उन्होंने कहा था कि वह हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए अस्पतालों का इस्तेमाल करना चाहते थे।
डॉ. जयलाल ने कहा था कि वे चाहते हैं कि IMA ‘जीसस क्राइस्ट के प्यार’ को साझा करे और सभी को भरोसा दिलाए कि जीसस ही व्यक्तिगत रूप से रक्षा करने वाले हैं। उन्होंने कहा था कि चर्चों और ईसाई दयाभाव के कारण ही विश्व में पिछली कई महामारियों और रोगों का इलाज आया।
गौरतलब है कि उन्होंने ईसाई संस्थाओं में भी गॉस्पेल (ईसाई सन्देश) को साझा करने की जरूरत पर बल दिया था। उन्होंने IMA में अपने अध्यक्षीय भाषण में भी कहा था कि आज जो भी हैं वह ‘सर्वशक्तिमान ईश्वर जीसस क्राइस्ट’ का गिफ्ट है और कल जो होंगे, वे भी उनका ही गिफ्ट होगा। उन्होंने इस दौरान मदर टेरेसा का जिक्र किया था, जिन पर पहले से ही ईसाई धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं। ‘क्रिस्चियन टुडे’ के इंटरव्यू में भी उन्होंने बताया कि कैसे महामारी के बावजूद ईसाई मजहब आगे बढ़ रहा है।
इसके अलावा, डॉक्टर JA जयलाल यहीं पीछे नहीं रहते। उन्होंने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार इसलिए आयुर्वेद में विश्वास करती है, क्योंकि उसके सांस्कृतिक मूल्य और पारंपरिक आस्था हिंदुत्व में है। उन्होंने दावा किया था कि पिछले 3-4 वर्षों से आधुनिक मेडिसिन की जगह आयुर्वेद को लाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी और योग इत्यादि की जड़ें संस्कृत में हैं, जो हिंदुत्व की भाषा है।