दिल्ली-एनसीआर फिर दमघोंटू प्रदूषण की चपेट में है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 343 है। दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रदूषण की स्थिति के लिए वन विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही कहा है कि साफ हवा में साँस लेना दिल्ली वालों का अधिकार है।
हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वन विभाग के प्रमुख सचिव से कहा है कि आपकी वजह से हम ऐसी खराब हवा में साँस लेने के लिए मजबूर हैं। यह आपकी जिम्मेदारी है कि AQI का स्तर नीचे आए। न्यायाधीश जसमीत सिंह ने दिल्ली में नया वन क्षेत्र विकसित करने और विभाग के खाली पड़े पदों को भरने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण बच्चे अस्थमा से जूझ रहे हैं। उन्हें साँस लेने में समस्य हो रही है। दिल्ली सरकार की नाक की नीचे रिज क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहा है।
गौरतलब है कि ठंड का मौसम आते ही दिल्ली की हवा की गुणवत्ता फिर से खराब हो गई है। हवा में प्रदूषण को मापने वाले AQI पर दिल्ली के अधिकांश इलाके लगातार खराब स्थिति में हैं। दिल्ली की हवा का AQI स्तर औसतन 300 के ऊपर बना हुआ है जो कि स्वास्थ्य के लिए घातक है।
दिल्ली के आनंद विहार इलाके में AQI का स्तर 400 से ऊपर है, जबकि पटपड़गंज जैसे इलाकों में यह 350 से अधिक है। इस तरह की हवा केवल साँस के रोगियों के लिए ही नहीं, बल्कि सामान्य मनुष्यों के फेफड़ों के लिए भी काफी खतरनाक है।
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP_ सरकार प्रदूषण की इस समस्या से निपटने में अब तक नाकाम रही है। पहले वह दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का जिम्मा पंजाब-हरियाणा या फिर दिल्ली की एमसीडी पर डाल देती थी .लेकिन अब एमसीडी और पंजाब, दोनों में ही आम आदमी पार्टी सत्ता में है। दिल्ली सरकार ने अब प्रदूषण को नियंत्रित करने में हाथ खड़े कर दिए हैं।
दिल्ली की तरह पंजाब में भी हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में पंजाब की भगवंत मान की सरकार अक्षम है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में इस सीजन अब तक पराली जलाने की 9594 घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। इसी कड़ी 1 नवम्बर 2023 ही 1921 पराली जलाने की घटनाएँ सामने आईं।
संगरूर, तरनतारन, फजिल्का और संगरूर जैसे जिलों में लगातार पराली जलाने की घटनाएँ हो रही हैं। लेकिन पंजाब सरकार उन्हें रोक नहीं पा रही है। बठिंडा, लुधियाना और अमृतसर जैसे शहरों में AQI 200 के पार हो गया है।