दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए 6 महीने के लिए जेल भेज दिया है। यह व्यक्ति अपनी याचिकाएँ ना स्वीकार किए जाने के कारण गुस्सा था और इसीलिए एक जज को फाँसी की सजा करवाना चाहता था।
हाईकोर्ट ने नरेश शर्मा नाम के शख्स द्वारा दाखिल की गई तीन याचिकाएँ जाँची जिसमें नरेश ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के विरुद्ध अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और सुप्रीम कोर्ट के विषय में भी कई बातें कहीं थी।
दरअसल, नरेश शर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष एक याचिका डाली थी जिसमें स्वतंत्रता के बाद अब तक भारत सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनकी जाँच की मांग की गई थी। इस याचिका को 27 जुलाई 2023 को एक जज वाली बेंच ने खारिज कर दिया था।
इससे क्रोधित होकर नरेश शर्मा ने इस फैसले के विरुद्ध याचिका खारिज करने वाले जज के विरुद्ध अभद्र भाषा और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पुनर्विचार याचिकाएँ दाखिल की थीं। इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने नरेश के विरुद्ध न्यायलय की अवमानना के तहत नोटिस जारी किया था। इसी सिलसिले में 1 नवम्बर 2023 को सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की सुरेश कुमार कैत और शैलिंदर कौर वाली दो सदस्यीय बेंच ने नरेश को न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए उसे 6 महीने की जेल की सजा सुनाई और ₹2000 का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि उसे आज ही तिहाड़ जेल में बंद किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि वह नरेश शर्मा की याचिका से स्तब्ध है। नरेश ने अपनी याचिका में जज को ‘चोर’ बताया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि शर्मा को अपनी गलती का एहसास भी नहीं है और वह अपने कहे पर कायम है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता IIT मुंबई और कानपुर से पढ़ा था, अमेरिका के बड़े संस्थानों में भी स्टडी की थी, इसलिए उसे भारत के संविधान का सम्मान करना चाहिए और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास रखना चाहिए।