Friday, November 8, 2024
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दिल्ली दंगों में कर दी गई थी दीपक की हत्या, हथियारों से लैस थी भीड़: अब अनवर, कासिम, शाहरुख और खालिद के खिलाफ आरोप तय

एक गवाह सुनील का कहना है कि जिस वक्त ये घटना हुई उस दौरान वह नाले के पास स्थित एक दीवार के पीछे छिपे थे और दीवार के सुराख से उसने इस घटना को देख रहे थे। इतना ही नहीं सुनील ने चारों आरोपितों के नाम के साथ पहचान की।

देश की राजधानी दिल्ली में पिछले साल हुए दंगों में दीपक नाम के हिंदू व्यक्ति की हत्या के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने चार लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। कड़कड़डूमा कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने चारों आरोपित अनवर हुसैन, कासिम, शाहरुख और खालिद के खिलाफ हत्या, दंगा फैलाने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप तय करते हुए इसे एक सुनियोजित हमला बताया है। इन लोगों ने दिल्ली दंगों के दौरान 25 फरवरी 2020 को अंबेडकर कॉलेज के पास दीपक नाम के शख्स की हत्या की थी। हालाँकि, आरोपियों ने खुद को निर्दोष साबित करने की भरपूर कोशिश की।

दीपक पर 25 फरवरी 2020 को दोपहर में गोकुल रोड फ्लाईओवर के सर्विस रोड पर भीड़ द्वारा हमला किया गया था। वह घायल अवस्था में अचेत मिला था। बाद में उसे जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण सिर और पेट में खून की नली में एंटीमॉर्टम चोट के कारण रक्तस्राव को बताया गया था।

अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह साबित हो चुका है कि दीपक की हत्या 25 फरवरी 2020 को दोपहर करीब 1.30 बजे हथियारों से लैस भीड़ द्वारा की गई थी। जज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “उनके भीड़ की शक्ल लेने और इरादे से उनके आचरण को समझा जा सकता है। इस तरह की गैर-कानूनी सभा दंगों और मृतक दीपक की हत्या जैसे अन्य अपराधों को अंजाम देने के लिए आयोजित किया गया। अवैध तरीके से भीड़ द्वारा साजिश के तहत पीड़ित पर बड़ा सुनियोजित हमला किया गया।”

जज ने कहा कि गवाहों ने दीपक की हत्या के मामले में आरोपितों के खिलाफ बयान दिए हैं। इस घटना के चश्मदीद रहे कीर्ति राज तिवारी ने बताया कि उस दिन वो अंबेडकर कॉलेज के पीछे ईडीएमसी पार्किंग में काम कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि डिस्पेंसरी के सामने कर्दमपुरी नाले के पास 100-200 लोगों की भीड़ दंगे कर रही थी। उस दौरान वह मुस्लिमों की उन्मादी भीड़ ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाते हुए एक लड़के को पकड़कर बेरहमी से डंडे और पत्थर से मार रही थी। इस बीच जैसे ही दूसरे समुदाय के लोग वहाँ पहुँचे तो इन लोगों ने लड़के को छोड़कर सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया। कट्टरता से भरी उन्मादी भीड़ में कुछ ऐसे लोग भी थे, जिन्हें तिवारी जानते थे और उन्होंने उनके नाम भी बताए।

सुनील ने आरोपितों को हत्या करते देखा

जज के मुताबिक, इस घटना का सबसे अहम गवाह सुनील कुमार हैं, जिन्होंने इस वारदात को करीब से देखा था। उन्होंने पूरा वाकया बताया कि कैसे मुस्लिमों की उन्मादी हथियारबंद भीड़ ने दीपक की हत्या कर दी। सुनील के मुताबिक, 25 फरवरी को कर्दमपुरी पुलिया से कट्टरपंथी इस्लामियों की भीड़ ‘अल्लाह हू अकबर’ का नारा लगाते हुए गोकुलपुर पार करने की कोशिश कर रही थी। इसी दौरान दीपक उनके हाथ लग गया। उन्होंने उसे पकड़कर बेरहमी से पीटा।

सुनील का कहना है कि जिस वक्त ये घटना हुई उस दौरान वह नाले के पास स्थित एक दीवार के पीछे छिपे थे और दीवार के सुराख से उसने इस घटना को देख रहे थे। इतना ही नहीं सुनील ने चारों आरोपितों के नाम के साथ पहचान की। उन्होंने बताया कि भीड़ की संख्या के कारण वह डर गए थे और दीपक को बचा नहीं पाए।

कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “आरोप तय करने के मामले में अभियोजन पक्ष अदालत को संतुष्ट करने में में सफल रहा है कि अभियुक्तों समेत गैर-कानूनी रूप से इकट्ठा हुई भीड़ ने दंगा फैलाने के साथ ही दीपक की हत्या भी की। गैर-कानूनी सभा पूरी तरह से हथियारों से लैस थी। उसने दीपक का पीछा किया और पकड़कर उसकी हत्या कर दी। उनके आचरण से यह कहा जा सकता है कि यह आपराधिक साजिश का मामला है।”

अदालत ने आगे कहा है कि चारों आरोपित अनवर हुसैन, कासिम, शाहरुख उर्फ ​​रिंकू और खालिद अंसारी इसी इस्लामी भीड़ में शामिल थे। इसलिए इन सभी के खिलाफ इंडियन पिनल कोड की धारा 147, 148, 302, 149, 120 बी के तहत आरोप लगाए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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