दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में कई बड़े नेताओं का नाम सामने आया है। इसमें कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, सीपीआई – एमएल पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन, छात्र नेता कवलप्रीत कौर, वैज्ञानिक गौहर रज़ा और प्रशांत भूषण का नाम शामिल है। दिल्ली पुलिस ने बेहद स्पष्ट तौर पर इन लोगों को दंगों का षड्यंत्र रचने का आरोपित बताया है।
दिल्ली दंगों के मामले में आरोपित खालिद सैफी और पूर्व कॉन्ग्रेस पार्षद इशरत जहाँ द्वारा दिए गए बयान के आधार पर खुर्शीद को आरोपित बनाया गया है। सैफी ने 30 मार्च को दिए गए अपने बयान में कहा था, “प्रदर्शन लंबे समय तक जारी रखने के लिए मैंने और इशरत ने कई लोगों को बुलाया था जिसमें एक व्यक्ति सलमान खुर्शीद भी थे। इन सभी को वहाँ पर भड़काऊ भाषण देने के लिए बुलाया गया था। जितने भी लोग धरने पर बैठे रहते थे वह सिर्फ और सिर्फ भड़काऊ भाषणों के लिए बैठते थे। इन भाषणों की मदद से ही वह अपने मज़हब को आधार बना कर प्रदर्शन जारी रखने वाले थे।”
सुरक्षा में रखे गए एक चश्मदीद ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया था (जिसे सीआरपीसी की धारा 164 के आधार पर तैयार किया गया था)। उसने भी अपने बयान में सलमान खुर्शीद का ज़िक्र किया था और उनके द्वारा दिए भड़काऊ भाषणों के बारे में भी बताया।
सलमान खुर्शीद ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “अगर आप सब कुछ समेटने जाएँगे तो पूरी चार्जशीट लगभग 17 हज़ार पन्नों की है। एक चार्जशीट विश्वसनीय और प्रभावशाली होनी चाहिए क्योंकि वह किसी अपराध का पुख्ता सबूत होती है। अगर कोई ऐसा कहता है कि 12 लोगों ने आकर भड़काऊ भाषण दिया तो ऐसा संभव नहीं है कि सभी ने एक तरह के भड़काऊ भाषण दिए। उकसावा और लामबंदी हमारे देश में आपराधिक गतिविधि नहीं है।”
वहीं वैज्ञानिक रज़ा का नाम खुरेजी क्षेत्र के नज़दीक मुस्लिम भीड़ को भड़काने के आरोप में सामने आया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चश्मदीद ने बताया, “रज़ा ने कई अन्य लोगों के साथ मिल कर सीएए और एनआरसी को लेकर कई आपत्तिजनक बातें कहीं। इसके अलावा उन्होंने वर्तमान सरकार को लेकर भी कई गलत बातें कहीं और मुस्लिमों को जम कर भड़काया।”
इन आरोपों पर रज़ा ने कहा था, “मैं आज भी अपने बयान पर कायम हूँ, मैंने सीएए के विरोध में कुछ भी गलत नहीं कहा। मैं हमेशा इसका विरोध करता रहूँगा क्योंकि यह संविधान पर हमला है। मैंने हमेशा हिंसा का विरोध किया है इसलिए भड़काने का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है।”
इनके अलावा सैफी और इशरत के बयान पर प्रशांत भूषण का नाम भी सामने आया था। प्रशांत भूषण पर भी आरोप लगाया गया था कि उन्होंने खुरेजी क्षेत्र में भड़काऊ भाषण दिया था। इस पर प्रशांत भूषण ने कहा था, “मैं कई जगहों पर गया था और विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया था। लेकिन मैंने इस तरह का कोई भाषण नहीं दिया था जो लोगों में हिंसा की भावना को बढ़ावा देता हो। हाँ मैंने सरकार के विरोध में बहुत कुछ कहा था और उससे वह भड़क गए तो इसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता।”
25 मई को दिए गए बयान में सैफी ने कवलप्रीत कौर का नाम भी लिया था। उसने यह भी बताया कि वह काफी समय से कौर के संपर्क में था। बयान के मुताबिक़ कौर ने कई लोगों के साथ मिल कर योजना बनाई थी कि वह ट्विटर पर भड़काऊ बातें साझा करेंगे जिससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएँ आहत हों और वह सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरें।
दिल्ली दंगों के कुल 15 आरोपितों में शादाब अहमद ने 27 मई को एक बयान दिया था। उस बयान में कुल 38 लोगों का नाम मौजूद था। इन नामों में मुख्य रूप से कृष्णन, कौर, उमर खालिद के पिता एसक्यूआर इलियास शामिल थे जिन्होंने चाँद बाग़ में भड़काऊ भाषण दिए थे। ख़बरों के मुताबिक़ इसके पहले सीपीआई के जनरल सेक्रेटी सीताराम येचुरी, स्वराज्य इंडिया के मुखिया योगेंद्र यादव, जयती घोष, प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद और फिल्म निर्माता राहुल रॉय जैसे लोगों का नाम भी दिल्ली पुलिस की पूरक चार्जशीट में शामिल है।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता अनिल मित्तल ने इस संबंध में बयान जारी करते हुए कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा, “एक व्यक्ति को सिर्फ गवाही के आधार पर आरोपित नहीं बना दिया जाता है। हमारे पास लगाए गए आरोपों के अतिरिक्त तमाम ऐसे सबूत हैं जिनके आधार पर हम अपनी कार्रवाई आगे बढ़ा रहे हैं।”