दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को फैजल फारुख (Faisal Farooque) को जमानत दे दी। वह राजधानी स्कूल का मालिक और प्रिंसिपल है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के दौरान इस स्कूल का इस्तेमाल अटैक बेस की तौर पर किया गया था।
स्कूल की छत पर एक बड़ा गुलेल लगाया था। इसकी मदद से हिंदुओं और उनकी संपत्तियों और पेट्रोल बम से निशाना बनाया गया था। दंगों में इस स्कूल को कोई नुकसान नहीं पहुॅंचा था। लेकिन इस ठीक बगल में स्थित स्कूल तबाह हो गया था।
फैजल फारुख को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि पिंजरा तोड़, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और मरकज से उसके संबंध में प्रथम दृष्टया प्रमाण नहीं हैं। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में इन संगठनों के साथ फैजल के संबंधों की ओर इशारा किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दंगों के वक्त फैजल मौके पर मौजूद था इसे साबित करने के लिए भी साक्ष्य नहीं हैं।
दरअसल दिल्ली पुलिस फारुख और निजामुद्दीन मरकज के बीच संबंधों की जाँच कर रही है। दिल्ली पुलिस ने उसके पीएफआई, पिंजरा तोड़ और मरकज के संपर्क में होने की बात कही थी।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह थी कि वह जिन लोगों के साथ संपर्क में था वह निजामुद्दीन मरकज के प्रभावशाली लोग थे। दिल्ली पुलिस ने जाँच के दौरान पाया था कि फारुख दिल्ली दंगों से एक दिन परहले देवबंद भी गया था। अब क्राइम ब्रांच दिल्ली दंगों में निजामुद्दीन मरकज की भूमिका की जाँच कर रही है।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों के दौरान दंगाइयों ने दिल्ली के दयालपुर क्षेत्र में स्थित राजधानी स्कूल को अपना गढ़ बना लिया था। फैसल फारूक राजधानी स्कूल का मालिक है। दिल्ली दंगों में संलिप्तता के आरोप में फैसल को दिल्ली पुलिस ने मार्च महीने में गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस ने फारुख को 18 अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था।
क्राइम ब्रांच के अनुसार फैसल फारूक दिल्ली में तीन स्कूलों का मालिक है;
क्राउन पब्लिक स्कूल, सीलमपुर
राजधानी स्कूल, शिव विहार
विक्टोरिया पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, वजीराबाद रोड
इतना ही नहीं फारुख ने 2014 में यमुना विहार C-1/9 में लगभग 6 करोड़ में एक संपत्ति खरीदी थी। वर्ष 2017 में यमुना विहार में लगभग 7.5 करोड़ रुपये मूल्य का सी-3/59ए खरीदा। वर्ष 2018 और 2019 में यमुना विहार में 2 दुकानें 10 करोड़ में खरीदी और 2020 में यमुना विहार में बी-1/1 की संपत्ति लगभग 10 करोड़ में खरीदी।
क्राइम ब्रांच को जाँच में पता चला कि फारुख कथित रूप से पीएफआई और निजामुद्दीन मरकज के साथ जुड़े लोगों के संपर्क में था। यही कारण था कि पुलिस पीएफआई और उनकी संपत्तियों के कनेक्शन की जाँच कर रही थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार दिल्ली दंगों के दौरान दंगाइयों ने राजधानी स्कूल को अपना केन्द्र बनाते हुए उसकी छत से ही गोलियाँ चलाईं थीं। उसकी छत पर लगी बड़ी लोहे की गुलेल का उपयोग पेट्रोल बम, एसिड, ईंट, पत्थरों को दूर तक फेंकने के लिए किया गया था। इस दौरान दंगाइयों की भीड़ ने राजधानी स्कूल की छत से रस्सियों की मदद से डीआरपी कॉन्वेंट स्कूल के परिसर में उतरकर स्कूल में आग लगा दी थी।
इस मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। यह रिपोर्ट 5 मार्च को दिल्ली के न्यू मुस्तफाबाद स्थित राजधानी स्कूल शिव विहार के परिसर के बाहर 24 फरवरी को हुए दंगों में दर्ज की गई थी। यह शिकायत डीआरपी कॉन्वेंट स्कूल के मालिक और प्रबंधक द्वारा दर्ज कराई गई थी। यह स्कूल राजधानी स्कूल के भवन से सटा हुआ है।
चार्जशीट में कहा गया है कि 24 फरवरी को मुस्लिम परिवारों के बच्चों को उनके माता-पिता स्कूल से जल्दी लेकर चले गए, जो साबित करता है कि दंगा पूर्व नियोजित था। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस को राजधानी स्कूल की छत से काँच की बोतलें, टाइल्स, रस्सी और लोहे की गुलेलें मिलीं थीं, जिसकी मदद से दंगाइयों ने हिंदुओं और उनके घरों को निशाना बनाया था।