माँ सरस्वती की पूजा करने के आरोप में महिला शिक्षक को निलंबित करने का मामला सामने आया। घटना दिल्ली के एक स्कूल की है। महिला शिक्षक ने बुधवार (25 जनवरी 2023) को सरस्वती पूजन का आयोजन किया था। मामले की जाँच के लिए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने समिति गठित की।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के वसंत विहार इलाके में स्थित गुरु हरकिशन सिंह पब्लिक स्कूल में संगीत सिखाने के लिए नियुक्त महिला शिक्षक ने सरस्वती पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया था। यह जानकारी सामने आने के बाद सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसका विरोध किया था।
इस स्कूल का प्रबंधन गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा किया जाता है। आपत्ति जताने जाए जाने के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य ने महिला शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे निलंबित कर दिया। यही नहीं, सिख नेताओं द्वारा नाराजगी जताए जाने के बाद मामले की जाँच करने के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका का कहना है, “स्कूल में नियुक्त संगीत विषय की महिला शिक्षक ने स्कूल के अंदर मूर्ति रखकर सरस्वती पूजन किया था। इसकी जानकारी सामने आने पर हमने आपत्ति जताई थी। इसको लेकर शुक्रवार (27 जनवरी 2023) को प्रधानाचार्य ने महिला शिक्षक को नोटिस भेजा। नोटिस के जवाब में शिक्षिका ने कहा था कि वह हर साल इसी तरह सरस्वती पूजा करती है। इसके बाद प्रधानाचार्य ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।”
कालका ने इस मामले में संगीत शिक्षक को दोषी ठहराया और कहा कि यह कार्यक्रम स्कूल प्रबंधन द्वारा नहीं, बल्कि संगीत शिक्षक द्वारा अपने स्तर पर आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा, “समिति से जुड़े शिक्षण और अन्य संस्थानों में सिख मर्यादा का पूरा ख्याल रखा जाता है।”
कालका ने आगे कहा, “इस मामले की जाँच के लिए कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी जाँच करेगी कि कहीं इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश तो नहीं है। यदि स्कूल में इस तरह से मूर्ति रखकर पूजा की जाती है तो विरोधी दल हमें निशाना बना सकते हैं।”
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष हरविंदर सिंह सरना ने सहित कई नेताओं ने स्कूल में सरस्वती पूजा के आयोजन का विरोध किया। सरना ने कहा, “कमेटी द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में मूर्ति पूजा की कोई परंपरा नहीं है। सिखों की मर्यादा को चुनौती देने वाले कई मामले सामने आ चुके हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “स्कूल प्रबंधन के पैसे से चलता है, लेकिन इसमें हर धर्म के लोग पढ़ते हैं। सिख प्रबंधन से प्राप्त राशि को सिखों और उनके गुरुओं के उपदेशों पर खर्च किया जाना चाहिए। गुरुद्वारा कमेटी सिख आचार संहिता का पालन करने में विफल रही है।”