दिल्ली के सीलमपुर में 24 अक्टूबर 2021 को एक दो महीने के बच्चे और उसके पिता के साथ मारपीट की घटना हुई थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल हुआ था। पीड़ित पक्ष का दावा है कि उन पर मामले को रफा-दफा करने का दबाव बनाया जा रहा। वे पुलिस पर भी सहयोग नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। साथ ही अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहे हैं। हालाँकि पुलिस इसे सामान्य घटना बता पीड़ित परिवार के दावों को नकार रही है।
दावा 1: मेरे पिता से जबरन साइन करवाया
इस मामले में आशु, रफीक, समीर और चाँद मोहम्मद नामजद आरोपित हैं। इनके हमले का शिकार बना परिवार दलित है। हमले में घायल हुए दीपक की लेडीज फुटवियर की दुकान है। उनके दो महीने के बेटे, भाई नवीन और 70 वर्षीय पिता रामस्वरूप को भी हमले के दौरान चोटें आई थी। ऑप इंडिया से बातचीत में दीपक ने दावा किया कि सीलमपुर पुलिस ने अपने हिसाब से एफआईआर दर्ज की और उनके पिता पर दबाव डालकर साइन करवा लिया। मामले को रफा-दफा करने के लिए उनके ऊपर दबाव बनाया जा रहा है। इसमें पुलिस के अलावा कुछ स्थानीय नेता और आपराधिक छवि के लोगों के शामिल होने का भी वे दावा करते हैं। हालाँकि अपने परिवार की सुरक्षा का हवाला दे उन्होंने इनका नाम बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने सीलमपुर के एसएचओ मनोज कुमार पर अभद्र व्यवहार का भी आरोप लगाया है।
दावा 2: शिकायतों पर कार्रवाई नहीं
दीपक ने बताया कि उनके भाई नवीन ने घटना के अगले दिन DCP को शिकायत पत्र दिया था। इसके बाद 30 अक्टूबर को दीपक ने खुद दिल्ली के उपराज्यपाल, DCP नार्थ ईस्ट दिल्ली और SHO सीलमपुर को शिकायत भेजी थी। उनका आरोप है कि इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
दावा 3: मोहसिन बार-बार धमका रहा
दीपक के अनुसार आशु उर्फ़ आश मोहम्मद ने उनके घर में ईंट मारी थी। उसके भाई चाँद मोहम्मद ने हमले के दौरान उन्हें पकड़ रखा था। दीपक ने बताया कि इस घटना से पहले वे शांति से धंधा कर रहे थे। लेकिन अब उन्हें अपना परिवार खतरे में लगता है। उन्होंने कहा कि जेल से बाहर आने के बाद से समीर उर्फ़ मोहसिन बार-बार दुकान पर आकर उन्हें धमका रहा है। मिली जानकारी के अनुसार इस घटना के दो अन्य आरोपित रफीक और चाँद मोहम्मद की जमानत याचिका पर भी सुनवाई पूरी हो चुकी है। अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है।
‘भीम आर्मी की जरूरत नहीं’
दीपक का कहना है कि उनका परिवार अकेले लड़ाई लड़ रहा है। दलितों के नाम पर राजनीति करने वालों से उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। भीम आर्मी को मुस्लिमों का समूह बताते हुए वे कहते हैं, मैं हिन्दू हूॅं। मुझे भीम आर्मी जैसे संगठनों की कोई जरूरत नहीं है।
पुलिस ने आरोपों को किया खारिज
दीपक के आरोपों को सीलमपुर पुलिस बेबुनियाद और झूठे बता रही है। SHO मनोज कुमार का कहना है कि मामले को बेवजह तूल देने के लिए अनर्गल बातें की जा रही। तथ्य को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। वे घटना में किसी तरह का सांप्रदायिक एंगल होने से इनकार करते हैं। साथ ही बताया कि पुलिस निष्पक्षता से इस मामले की जाँच कर रही है और घटना के सभी चारों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
दीपक के दावों के बाबत हमने पुलिस के उच्चाधिकारियों से सम्पर्क करने का भी प्रयास किया। DCP नार्थ ईस्ट दिल्ली ने फोन नहीं उठाया। ACP सीलमपुर का कहना है कि जिस SHO ने पहले ही दिन केस दर्ज कर न्यायसंगत धाराएँ लगाई उस पर ऐसा आरोप कोई कैसे लगा सकता है। ये कहना गलत है कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है। पुलिस ने वह सब कुछ किया है जो कानूनी रूप से उचित है। ऐसे में पीड़ित पक्ष ऐसा आरोप क्यों लगा रहा है ये समझ से परे है। DCP से बात होते ही हम इस खबर को अपडेट करेंगे।
It was an altercation between two parties over a petty issue for which legal action has been initiated and suspects/accused have been identified. There is nothing communal in that as alleged in the tweet. SHO Seelampur is directed to personally monitor it.
— DCP North East Delhi (@DCPNEastDelhi) October 27, 2021
कबूतरबाजी या पाकिस्तान की जीत का जश्न?
दिल्ली पुलिस के DCP नार्थ ईस्ट ने इस मामले में 27 अक्टूबर को ट्वीट कर कहा था कि घटना में कोई भी साम्प्रदायिक एंगल नहीं है। पुलिस इसे कबूतर उड़ाने को लेकर हुई सामान्य मारपीट बता रही है। ऑप इंडिया के पास इस मामले की FIR मौजूद है। इसके अनुसार आरोपित पक्ष कबूतरों को उड़ाने के लिए पत्थर मार रहे थे। जब वो पत्थर पीड़ित परिवार के घर में गिरे तो उन्होंने ऐसा करने से रोका। इसी बात ने तूल पकड़ा और मामला मारपीट तक जा पहुँचा। हालाँकि दीपक इससे इनकार कर रहे हैं। उनका दावा है कि हमले की वजह टी-20 क्रिकेट में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने से रोकना है। इस हमले के विरोध में हिन्दू संगठन कलिंग राइट ग्रुप ने कड़ा एतराज दर्ज करवाया था। संगठन ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) से भी शिकायत की थी।