कर्नाटक हिजाब मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट शीघ्र सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। बुधवार (22 फरवरी, 2023) को अधिवक्ता शादान फरासत ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मुस्लिम लड़कियों की याचिका पर सुनवाई की माँग की। याचिका में हिजाब पहनकर परीक्षा में शामिल होने की अनुमति माँगी गई है। इस पर कोर्ट ने मामले पर जल्दी ही फैसला लेने का आश्वासन दिया है।
अधिवक्ता शादान फरासत ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया। फरासत ने कहा कि कर्नाटक राज्य में हिजाब पर प्रतिबंध के कारण मुस्लिम छात्राएँ परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रही हैं। विवाद की वजह से छात्राओं की पढ़ाई व सत्र को पहले ही नुकसान पहुँच चुका है। आगामी परीक्षाएँ 9 मार्च से शुरू होंगी। याचिका में मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पहनकर परीक्षा में शामिल होने की इजाजत माँगी है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से तर्क दिया गया है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। अक्टूबर 2022 में 10 दिनों की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों के बीच मतभेद की वजह से फैसला नहीं हो सका था। इसके बाद मामला सीजीआई की बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया था। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया है कि मार्च में ही परीक्षाएँ होनी हैं, इसलिए सुनवाई होने तक मुस्लिम छात्राओं को हिजाब की अनुमति दी जाए।
Lawyer apprises the Supreme Court about its split verdict on Hijab issue in Karnataka and hence the girl students are not allowed to enter colleges wearing Hijab.
— ANI (@ANI) February 22, 2023
सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा कि परीक्षा में शामिल होने में क्या समस्या है? इस पर वकील शादान फरासत ने कहा कि फिलहाल छात्राओं को हिजाब पहनकर परीक्षा में शामिल होने की इजाजत नहीं है। दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार हिजाब के साथ परीक्षा देने की अनुमति नहीं है। सीजेआई ने कहा है कि वे जल्दी ही इस मामले में फैसला लेंगे।
क्या है कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला?
मार्च 2022 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुर्का मामले पर सुनाए गए अपने फैसले में कहा है कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य प्रथा नहीं है और शैक्षणिक संस्थानों में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। हालाँकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस दौरान ये भी कहा कि क्लासरूम से बाहर महिलाएँ क्या पहनती हैं, ये उनका अधिकार है और इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि स्कूल-कॉलेजों में ड्रेस कोड सबको बराबर दिखाने के लिए होता है और इसका पालन होना चाहिए।