पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित कई शहरों के नाम बदलने की चर्चा है। इसके लिए लगातार माँग उठ रही है। प्रतापगढ़ के बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर लखनऊ का नाम बदलने की माँग की है। वहीं, सुभासपा (SBSP) के अध्यक्ष ओपी राजभर ने गाजीपुर का नाम बदलकर विश्वामित्र नगर करने की माँग की है।
सांसद संगम लाल गुप्ता ने पत्र में कहा कि अगर मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान किया जा सकता है तो लखनऊ का नाम बदलकर लखनपुरी या लक्ष्मणपुररी क्यों नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मुगल काल के नाम अब नहीं रहना चाहिए। उन्होंने इस नाम को अविलंब बदलने की माँग की।
सांसद ने लिखा, “स्थानीय मानता के अनुसार, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने बतौर अयोध्या नरेश श्री लक्ष्मण को भेंट किया था। उसी कारण से उसका नाम लखनपुर और लक्ष्मणपुर रखा गया था। 18वीं सदी में नवाब आसुफदौला ने उसका नाम बदलकर लखनऊ रख दिया था।”
लखनऊ का इतिहास
त्रेतायुग में भगवान राम ने अयोध्या से 30 किलोमीटर दूर कौशल राज्य का एक हिस्सा अपने भाई लक्ष्मण को दे दिया था। इसका नाम लक्ष्मणपुरी रखा गया था। बाद में यह अपभ्रंश होकर लखनपुरी और फिर लखनपुर हो गया था। सन 1290 ईस्वी तक लखनऊ नाम का कहीं जिक्र नहीं है।
मुगलकाल में पहली बार लखनपुर का जिक्र अकबर के शासनकाल में आया। अकबर ने लखनपुर की जागीर बिजनौर के गर्वनर शेख अब्दुला को सौंपी थी। साल 1775 के बाद नवाब आसफुद्दौला ने लखनपुर की गद्दी संभाला। इसके बाद उसने लखनपुर का नाम बदलकर लखनऊ कर दिया। यह आज तक लखनऊ के नाम से ही जाना जाता है।
गाजीपुर का नाम बदलने की माँग
उधर, गाजीपुर का नाम बदलने के लिए ओपी राजभर ने सीएम योगी को पत्र लिखा है। राजभर ने अपने पत्र में कहा है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने इस पर ध्यान दिया कि गाजीपुर के पौराणिक महत्व में ऋषि विश्वामित्र की विशेष भूमिका रही है। इसलिए गाजीपुर का नाम बदलकर विश्वामित्र नगर किया जाए।
राजभर ने गाजीपुर के साथ-साथ बहराइच जिले का नाम भी बदलने की माँग की। इस संबंध में उन्होंने सीएम योगी के साथ-साथ पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा है।
गाजीपुर का इतिहास
शास्त्रों के अनुसार, गाजीपुर का प्राचीन नाम गाधिपुर था, जिसे राजर्षि विश्वामित्र के पिता महाराजा गाधि ने बसाया था। इस्लामी शासन के दौरान मुस्लिम शासक मसूद गाजी ने इसका नाम गाधिपुर से बदलकर गाजीपुर कर दिया।
गाजीपुर जिले के करंडा क्षेत्र में कर्ण ऋषि के आश्रम में महाराजा भरत का बचपन बीता था। वे इन आश्रम में शेरों के साथ खेला करते थे। चक्रवर्ती सम्राट भरत की माता का नाम शकुन्तला था और पिता का नाम राजा दुष्यन्त था। भरत का ननिहाल गाधिपुर में था। शंकुलता विश्वामित्र और मेनका की पुत्री थीं।