बिहार के एक जाने-माने प्राइवेट अस्पताल में एक नकली डॉक्टर करीब ढाई साल से काम कर रहा था। यह अस्पताल है, पटना का पारस हॉस्पिटल। नकली डॉक्टर की पहचान मोहम्मद शमीम फारूकी के तौर पर हुई है। सीबीआई ने उसकी डिग्री नकली होने का खुलासा करते हुए केस दर्ज किया है। अस्पताल ने भी उसे नौकरी से निकाल पटना के शास्त्री नगर थाने में मामला दर्ज कराया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद शमीम फारूकी मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के लालबाग इलाके का रहने वाला है। उसने नेपाल की काठमांडू यूनिवर्सिटी में मेडिकल पढ़ाई के लिए दाखिला लिया था। लेकिन फेल होने के कारण वह डिग्री हासिल नहीं कर सका। बावजूद उसने नकली डिग्री बना ली।
फर्जी डिग्री बनवाने के बाद वह फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम में भी बैठा था। यह परीक्षा विदेशों से पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों के लिए भारत में जरूरी है। वह इस परीक्षा में भी फेल हो गया। इसके बाद उसने परीक्षा में पास हुए एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद जावेद के डॉक्यूमेंट जुटाए और नकली सार्टिफिकेट तैयार करा लिया। इस सार्टिफिकेट पर ही वह नौकरी कर रहा था।
बताया जा रहा है कि मोहम्मद शमीम फारूकी पटना के पारस हॉस्पिटल में नौकरी करने से पहले हरियाणा के एक हॉस्पिटल में भी बतौर डॉक्टर काम कर चुका है। वहाँ से बर्खास्त होने के बाद वह पटना आया था। इसके बाद फर्जी दस्तावेजों के सहारे दिसंबर 2020 में पारस हॉस्पिटल में वह डॉक्टर बन नौकरी करने लगा। दिलचस्प बात यह है कि फर्जी डॉक्टर होने के बाद भी फारूकी पारस हॉस्पिटल का इमरजेंसी वार्ड देख रहा था।
कैसे सामने आया मामला
केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) ने दिसंबर 2022 में देशभर के 74 फर्जी डॉक्टरों का खुलासा किया था। सीबीआई ने इन सभी के खिलाफ FIR दर्ज की थी। इसमें मोहम्मद शमीम फारूकी का नाम भी शामिल था। लेकिन पारस हॉस्पिटल के प्रबंधन को इसकी जानकारी नहीं थी। 10 मई 2023 को CBI ने हॉस्पिटल को फारूकी की सच्चाई के बारे में जानकारी दी। इसके बाद हॉस्पिटल ने आनन-फानन में उसे नौकरी से निकाल स्थानीय थाने में FIR दर्ज कराई। साथ ही नौकरी के लिए उसके द्वारा हॉस्पिटल में जमा किए गए दस्तावेज भी पुलिस को सौंप दिए हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद से मोहम्मद शमीम फारूकी फरार बताया जा रहा है। पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है।